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Alwar पर्यटकों को नहीं मिल रहे भालू के दर्शन, पर्यटन क्षेत्र से बाहर आ रहे

 
Alwar पर्यटकों को नहीं मिल रहे भालू के दर्शन, पर्यटन क्षेत्र से बाहर आ रहे
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर पहली बार सरिस्का लाए गए चारों भालू सरिस्का के टूरिस्ट जोन से बाहर घूम रहे हैं। पर्यटकों को ये दिखाई नहीं दे रहे हैं। भालू चट्टानी इलाकों में विचरण कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि भालुओं को सरिस्का में पसंदीदा भोजन नहीं मिल पा रहा है। डीएफओ डीपी जागावत का कहना है कि ये जानवर है। जहां अच्छा लगता है वह घूमता है। कुछ पर्यटकों को दिखा भी है।

ट्रांसलॉकेट किए थे चार भालू

करीब डेढ़ साल पहले सरिस्का में रणथम्भौर अभयारण्य से भालू का जोड़ा लाया गया था। इन्हें ट्रांसलॉकेट करके लाया गया था जो नया प्रयोग था। जैसे ही भालू सरिस्का में छोड़े गए तो शुरुआत में ये जंगल छोड़कर आबादी की ओर भागे। एक भालू ने टाइगर ट्रैकर आदि पर भी हमला किया था। इसके कुछ समय बाद एक नर व एक मादा भालू और रणथम्भौर अभयारण्य से लाए गए। इन्हें भी जंगल में छोड़ा गया तो ये भी आबादी की तरह ही भागे। कुछ समय बाद ये सरिस्का के जंगल की ओर लौटे। अब सब कुछ ठीक रहा तो सरिस्का में टाइगरों की संख्या और बढ़ सकती है। तीन से चार टाइगर आ सकते हैं। इसका प्रस्ताव दिल्ली में केंद्रीय वन मंत्री भूपेंद्र यादव के समक्ष वन मंत्री संजय शर्मा ने रखा है। इसके अलावा एलिवेटेड रोड निर्माण में आ रही बाधाओं को जल्द दूर करने का आश्वासन भी मिला है। इस समय सरिस्का में 30 टाइगर हैं। बताते हैं कि वन मंत्री की ओर से प्रस्ताव रखा गया है कि शाहगढ़ व मुकुंदरा टाइगर परियोजना से तीन से चार टाइगर सरिस्का में शिफ्ट किए जा सकते हैं। इसकी अनुमति जरूरी है। टाइगर बढ़ने से सरिस्का का पर्यटन और बढ़ेगा। इसके अलावा टाइगरों का भी कुनबा बढ़ने से जीवन आसान होगा। सरिस्का में नाहर सती मंदिर से पांडूपोल हनुमान मंदिर तक रोप-वे व रास्ता बनाने पर भी केंद्रीय मंत्री से चर्चा हुई है। वन मंत्री के साथ पार्षद सतीश यादव भी थे।

इन इलाकों में देखे जा रहे

नए साल से लेकर अब तक पर्यटकों को भालू कहीं नजर नहीं आए। वन विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि भालू इस समय अजबगढ़-भानगढ़ की तरफ देखे गए हैं। एसडी-1 व एसडी-2 बीलवाड़ी घाटी में घूम रहे हैं। विराटनगर में भी भालू की लोकेशन आई है। भालुओं के रेडियोकॉलर लगे हैं। बताया जा रहा है कि सरिस्का में भालुओं को शहद नहीं मिल पा रहा है। चट्टानों पर मधुमक्खी के छत्ते लगे हैं। ऐसे में वहां शहद का आनंद लेने गए हैं। बताते हैं कि भूख से विचलित भालू कचरा भी खा लेता है। इसके अलावा बांस के पत्ते आदि भी खाता है। कुछ पर्यटकों का कहना है कि वह टाइगर के अलावा भालू देखने के लिए सरिस्का आए थे लेकिन भालू नहीं दिखे।