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Alwar बाघ के दांत साफ करने वाला रूफस ट्रीपी सरिस्का में हो गया मशहूर

 
Alwar बाघ के दांत साफ करने वाला रूफस ट्रीपी सरिस्का में हो गया मशहूर 
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर टाइगर के मुंह में फंसे मांस के टुकड़े निकालकर अपना भोजन करने वाली चिड़िया रूफस ट्रीपाई इस समय सरिस्का में पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है। सफारी में घूम रहे पर्यटकों के सिर पर भी ये चिड़िया बैठ रही। पर्यटक खुद अपने हाथ से बिस्टिक आदि भी खिला देते हैं। हालांकि ये प्रतिबंधित है। पर्यटकों को रोका भी जाता है। तीन साल पहले इस पक्षी की संख्या में गिरावट देखी गई थी लेकिन अब इनका कुनबा विशाल हो गया। रूफस ट्रीपाई चिड़िया भारत ही नहीं कई देशों में पाई जाती है। ये पक्षी टाइगर ही नहीं मगरमच्छ के दांतों में फंसे आहार को निकालकर डेंटिस्ट का काम करती है, इसलिए इस चिड़िया को टाइगर टूथपिस्ट भी बोलते हैं। इस पक्षी का नाम है इंडियन ट्री पाई है जो कि सरिस्का में बहुतायत में है।

सरिस्का के सीनियर गाइड रामौतार मीणा कहते हैं कि टाइगर के दांतों में मांस आदि फंस जाता है तो ये चिड़िया मुंह पर आकर बैठ जाती है। टाइगर भी इसे अपना सहायक मानता है, इसलिए नहीं खाता है। टाइगर को भी दांत साफ करवाने में आनंद आता है। इस समय इस पक्षी की तादाद सरिस्का की काली घाटी में ज्यादा है। पर्यटकों को लुभा रही है। काफी फुर्तीली है। कीट पतंगों और फलों को भी ये आहार रूप में लेती है।

शरीर का मुख्य रंग दालचीनी होता है। सिर काला होता है। लंबी खंडित पूंछ नीले भूरे व काले रंग की होती है। पंख पर एक सफेद धब्बा है। चोंच मजबूत होती है। नीचे के हिस्से और पीठ का हिस्सा गहरे भूरे से नारंगी-भूरे रंग का होता है। चोंच, पैर काले हैं। ये चिड़िया भारत के अलावा पाकिस्तान, बांग्लादेश, म्यांमार, लाओस और थाईलैंड तक पाई जाती है। रूफस ट्रीपाई (डेंड्रोसिटा वागाबुंडा) एक चिड़िया है। ये भारतीय उपमहाद्वीप और दक्षिण पूर्व एशिया के आसपास के हिस्सों में पाई जाती है। यह कौवा परिवार की सदस्य है। आवाज तेज़ संगीतमय है, जो बहुत विशिष्ट लगती है। यह आमतौर पर खुली झाड़ियों, कृषि क्षेत्रों, जंगलों और शहरी उद्यानों में पाती है। यह खाने में बहुत अनुकूलनीय, सर्वाहारी और अवसरवादी है।