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Alwar दुर्लभ बिजौरा नींबू के पेड़ घट रहे, औषधि में होता है उपयोग

 
Alwar दुर्लभ बिजौरा नींबू के पेड़ घट रहे, औषधि में होता है उपयोग
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर  क्षेत्र में कम बारिश के चलते बीजोरा नींबूओं के पेड़ बहुत कम संख्या में रह गए है। इस क्षेत्र में एक प्रकार से यह बीजोरा नींबूओं के पेड़ दुर्लभ प्रजाति के माने जा रहे हैं। गैस, पथरी, दीपनपाचन, वातानुलोमक, सोथर (पूरे शरीर में सूजन आ जाने), हृदय रोग, कॉलेस्ट्रोल कम करने आदि बीमारियों के लिए बीजोरा नीबू कारगर साबित होते है। पीड़ित लोग बीजोरा नीबूओं की तलाश में दूर -दराज से यहां खरीदने आते हैं।

पथरी काटने में सहायक : गोठ निवासी बाबा गोकल ने बताया कि बीजोरा नींबू का रस पीने से पेट की बीमारियों एवं पेट की पथरी को काटने में सहायक होता हैं। पथरी व पेट की बीमारियों के लिए बीजोरा नींबू कारगर साबित होता हैं। दौसा, बांदीकुई आदि स्थानों के पीड़ित व्यक्ति दवा के लिए खरीद कर ले जाते हैं।

बीजोरा नींबू तीन सौ से पांच सौ रुपए किलो के भाव में बिक रहा : बीजोरा नींबू के पेड़ों की संख्या कम होने के कारण यह लुप्त होने के कगार पर पहुंच गया है। वर्तमान में राजगढ़ के समीप गोठ गांव में एकमात्र बीजोरा नींबू का पेड़ लगा हुआ है। राजगढ़ क्षेत्र में बहुत कम संख्या में बीजोरा नींबू के पेड़ रह गए। पानी की कमी के चलते लोग बीजोरा नींबू के पेड़ लगाने में रुचि नहीं ले रहे। वर्तमान में बीजोरा नींबू का भाव 300 से 500 रुपए प्रति किलो है।

बीजोरा नींबू नहीं होता खराब

बीजोरा नींबू का पेड़ करीब चार वर्ष में बड़ा होता हैं। उसके बाद उसमें फल आने लग जाते हैं। जून-जुलाई के माह में बीजोरा नींबू के फल आता है तथा जनवरी -फरवरी के माह में बीजोरा नींबू का वजन दो सौ सवा दो सौ ग्राम का होने के साथ पक जाता है। बीजोरा नींबू के पेड़ की उम्र करीब चालीस वर्ष होती है। पेड़ से नींबू का फल तोड़ने के बाद वो सात-आठ दिन तक खराब नहीं होता हैं।