Alwar प्रधान मुख्य वन संरक्षक और मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक एक दूसरे पर डाल रहे हैं जिम्मेदारी
इस तरह हुआ था खुलासा
प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय की ओर से बनाई गई तीन सदस्यीय उच्च स्तरीय कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट में खुलासा किया था कि सरिस्का बाघ परियोजना के सीमावर्ती क्षेत्रों (विशेषकर टहला क्षेत्र) में परियोजना क्षेत्र तथा अलवर जिले में विगत 10 वर्षों में तैनात रहे सरकारी अधिकारियों की ओर से बड़े पैमाने पर जमीनों की खरीद-फरोख्त की गई है। अभयारण्य क्षेत्र के राजस्व ग्राम की सीमा के अंदर इस प्रकार की गई जमीनों की खरीद-फरोख्त वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 की धारा 20 का उल्लंघन है। ऐसे में उल्लंघन करने वाले अधिकारियों, विशेषत: वन विभाग के अधिकारी, जिनको इन नियमों की पूर्ण जानकारी होते हुए भी ये कृत्य किया, इनको पहचानकर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए। साथ ही इनकी ओर से किए गए अतिक्रमण (होटल, बारातघर, रिसोर्ट आदि) भी हटाए जाएं।
दी जा सकतीहै चार्जशीट
खुलासे के बाद अब दोषी अफसरों को चार्जशीट देने की तैयारी चल रही है। हालांकि अभी स्पष्ट नहीं हो पाया है। बड़े अफसर इस मामले में कोई एक्शन नहीं ले रहे हैं। वह एक-दूसरे पर टाल रहे हैं। यही नहीं, सरिस्का के आसपास होटल और रेस्टोरेंट बने हैं, उन पर भी कार्रवाई किसी ने नहीं की। जांच रिपोर्ट प्रधान मुख्य वन संरक्षक कार्यालय पहुंची तो इसे पूरी तरह दबा दिया गया। सरकार को भी भेजी गई लेकिन कार्रवाई नहीं की। ये जांच वर्तमान में कृषि मंत्री व पूर्व राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा की ओर से की गई थी। अब वह सरकार में प्रभावशाली मंत्री हैं, बावजूद इसके कार्रवाई सरकार में नहीं करा पा रहे हैं। जांच रिपोर्ट में कुछ अफसरों के नाम भी सामने आए हैं। इसमें तीन सीसीएफ, 3 डीएफओ के अलावा रेंजर आदि फंस रहे हैं। कुछ रिटायर हो गए हैं और कुछ काम कर रहे हैं।