Alwar आजादी के 76 साल बाद बजेगी प्रदेश के 3500 गांवों में फोन की घंटी

अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर आजादी के 76 साल बीतने के बाद भी लैंड लाइन व मोबाइल से वंचित प्रदेश के 3500 गांवों में जल्द ही घंटी बजने वाली है। प्रदेश के इन गांवों में बीएसएनएल की ओर से जल्द ही 1400 टावर लगाए जाएंगे। इसके बाद मोबाइल की सुविधा से वंचित ग्रामीण भी मोबाइल से लैस हो जाएंगे। बीएसएनएल के अधिकारियों की माने तो करीब छह माह के अंदर इन गांवों में मोबाइल की घंटी बजने लगेगी और 4जी सेवा मिलने लगेगी। ये वे गांव है जो सघन पहाड़ी इलाके या दूर- दराज में आते हैं।
मूलभूत सविधाओं की कमी से नहीं पहुंची कंपनियां
अधिकारियों ने बताया कि 4जी सेचूरेशन के तहत राजस्थान के लगभग 3500 अनकवर्ड गांवों में 1400 टावर लगाकर कवर किया जा रहा है। इसी में अलवर के गांव शामिल है। इस योजना के क्रियान्वयन के बाद राजस्थान के सभी वंचित गांव 4 जी सेवा का पूर्ण स्वदेशी 4 जी टेक्नोलॉजी से लाभ उठा पाएंगे। आगामी छह माह में ये सुविधा मिल सके इसके लिए तेजी से काम किया जा रहा है। टावर लगाने के लिए लाइन डाली जाएगी। मोबाइल टावर लगने से इंटरनेट की सुविधा मिलेगी और यहां पर ऑनलाइन काम भी आसान हो जाएगा। इन गांवों में मूलभूत सुविधाओं के अभाव के कारण आज तक कोई मोबाइल कंपनी यहां तक पहुंच नहीं बना सकी थी।
अलवर जिले के 25 गांव भी शामिल
भारत संचार निगम लिमिटेड की ओर से जिले के 25 गांवों में पहली बार मोबाइल टावर लगाए जाएंगे। अलवर जिले में पिछले सालों में कई मोबाइल कंपनियों के टावर लगे हैं, लेकिन कोई भी कंपनी इन गांवों में मोबाइल टावर नहीं लगा पाई है। दरअसल ये गांव बहुत ही सघन पहाड़ी क्षेत्र में हैं। जहां आबादी तो हैं, लेकिन इनके लिए सुविधाओं का अभाव है। पहली बार बीएसएनएल यहां पहुंच रहा है। फोन व मोबाइल से वंचित थे लेकिन अब अलवर जिले के राजगढ़, थानागाजी, टहला के सरिस्का अभयारण्य से लगते गांवों में आज भी ना तो लैंडलाइन फोन है और ना ही मोबाइल की सुविधा। ये गांव आज भी इंटरनेट का इंतजार कर रहे हैं। यहां आज तक किसी कंपनी का सिग्नल ही नहीं पहुंचा है। इसके चलते इन गांवों का विकास का सपना भी पूरा नहीं हो पा रहा है। सुदूरवर्ती इन गांवों में बीएसएनएल की ओर से पहली बार मोबाइल टावर लगाने की पहल की जा रही है। इससे यहां के लोगों को संचार की सुविधाओं का लाभ मिल पाएगा और ये गांव आगे बढ़ पाएंगे।