Alwar मिलावट के खिलाफ अभियान के तहत जांच की कोई प्रभावी व्यवस्था नहीं
गत वर्ष लिए 1387 सैंपल : प्रदेश में साल 2021 तक सैंपल संग्रहण का आंकड़ा 10 हजार भी नहीं पहुंच पाता था। वहीं, साल 2022 में 14 हजार और साल 2023 में 30 हजार से अधिक सैंपल लिए गए। जबकि अलवर जिले में साल 2023 में एक्ट के तहत 1387 सैंपल लिए गए। इसमें से 260 सैंपल में मिलावट पाए जाने पर कोर्ट में चालान पेश किया जा चुका है। जबकि 244 मामले कोर्ट के स्तर पर और 316 मामले खाद्य सुरक्षा अधिकारी के पास लंबित हैं। इसके अलावा मिलावटी खाद्य सामग्री के ठिकानों पर 6 कार्रवाई केन्द्रीय टीम की ओर से की गई हैं। इसके साथ ही हर महीने करीब 180 सैंपल सर्वे के तहत लिए जा रहे हैं। एक्ट के तहत लिए जाने वाले सैंपल जांच के लिए जयपुर भिजवाए जा रहे हैं। इनमें मिलावट पाए जाने पर संबंधित व्यक्ति के खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया जाता है, जबकि सर्वे के तहत लिए जाने वाले सैंपल की जांच स्थानीय लैब में होती है। इसका उद्देश्य यह पता करना होता है कि बाजार में किस तरह के उत्पाद आ रहे हैं और इनमें किस तरह की मिलावट की जा रही है।
स्थानीय लैब में स्थायी एनालिस्ट नहीं: एफएसएचएआई की ओर से जिले में सामान्य चिकित्सालय परिसर में जांच लैब संचालित है, लेकिन यहां सिर्फ सर्वे के सैंपल की ही जांच की सुविधा है। यही नहीं करीब 3 माह से लैब में जांच के लिए एनालिस्ट भी नहीं है। फिलहाल अलवर की जांच लैब का अतिरिक्त प्रभार भरतपुर लैब की एनालिस्ट को सौंप रखा है। जो सप्ताह में 2 दिन अलवर और 3 दिन भरतपुर का काम देखती हैं। वहीं, एक्ट के सैंपल को जांच के लिए जयपुर अथवा बंगलुरु की हायर लैब में भिजवाया जा रहा है।
यह है जांच का प्रावधान: नियमानुसार एक्ट के तहत खाद्य सामग्री के सैंपल 4 भाग में लिए जाते हैं। इसमें से एक सैंपल को जांच के लिए जयपुर भिजवाया जाता है, जबकि 3 सैंपल स्वास्थ्य विभाग के पास जमा होते हैं। इसके बाद जांच रिपोर्ट में मिलावट पाए जाने पर यदि संबंधित व्यक्ति जांच रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होता तो फिर दूसरे सैंपल को जांच के लिए हायर लैब भिजवा दिया जाता है।