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Alwar असंतुलित दिनचर्या और दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी फेलियर के मरीज बढ़ रहे

 
Alwar असंतुलित दिनचर्या और दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी फेलियर के मरीज बढ़ रहे
अलवर न्यूज़ डेस्क,  अलवर अनियमित खानपान, दिनचर्या और अनावश्यक दर्द निवारक दवाओं के सेवन से जिले में गुर्दे के मरीज बढ़ रहे हैं। शुगर, बीपी, गठिया व संक्रमण भी गुर्दों की बीमारी कर रहा है। अगर व्यक्ति प्रतिदिन 5 लीटर स्वच्छ पानी पीने और 40 से 45 मिनट की शारीरिक गतिविधियां करके गुर्दे की बीमारी से बचा जा सकता है। साथ ही, दर्द निवारक दवाईयों का सेवन भी कम करना चाहिए। सामान्य अस्पताल की डायलिसिस यूनिट की प्रभारी बबीता कुमारी ने बताया कि गुर्दे के 3 से 6 मरीजों की हर दिन डायलिसिस हो रही है। साल 2020 में 1148, 2021 में 1054, 2022 में 353 और साल 2023 में 673 मरीजों की जिला अस्पताल में डायलिसिस की गई। जबकि इस साल अभी तक 151 मरीजों की डायलिसिस हो चुकी है। इसमें महिला व पुरुष मरीजों की संख्या लगभग बराबर है। इसके अलावा निजी अस्पताल और अन्य जिलों व शहरों में उपचार कराने वाले मरीजों की संख्या अलग है।

गुर्दा शरीर का एसिड बेस करता है संतुलित: गुर्दे अथवा किडनी रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन के आकार के दो अंग होते हैं। यह शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। इसका मुख्य कार्य खून का साफ करना, पेशाब बनाना, मिनरल का अवशोषण करना, हार्मोन का निर्माण, शरीर के टॉक्सीन को बाहर निकालना एवं एसिड बेस का संतुलन बनाए रखना है। शरीर के रक्त का बड़ा हिस्सा गुर्दों से होकर गुजरता है। गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त को छानकर शुद्ध करती हैं। ये रक्त के अशुद्ध भाग को मूत्र के रूप में अलग भेजती हैं। गुर्दे की बीमारी का शुरुआती अवस्था में पता लगने पर दवाओं से उपचार संभव है, लेकिन समय पर उपचार नहीं मिलने पर आगे चलकर किडनी फेल हो सकती है।

बीमारी के लक्षण और बचने के उपाय

बार-बार पेशाब आना अथवा कम आना, चेहरे व पैरों में सूजन आना व चलने पर जल्दी सांस फूलना, भूख नहीं लगना, पेट में दर्द होना एवं उल्टी चालू होना आदि किडनी रोग के सामान्य लक्षण हैं। किडनी की बीमारियों से बचने के लिए बीपी व शुगर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी चाहिए। भोजन में नमक की मात्रा कम करने के साथ ही धूम्रपान व तंबाकू के सेवन से परहेज करें। दर्द निवारक दवाओं का सेवन भी जरुरी होने पर चिकित्सक की सलाह से ही करें।  प्रथम स्टेज में किडनी की बीमारियों का दवाओं से इलाज संभव है। लेकिन क्रोनिक स्टेज में डायलिसिस व गुर्दा ट्रांसप्लांट ही इसका उपाय है। गुर्दे की बीमारियों से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी है। स्वस्थ दिनचर्या को अपनाकर गुर्दे की बीमारियों से बचा जा सकता है।