Alwar असंतुलित दिनचर्या और दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी फेलियर के मरीज बढ़ रहे
![Alwar असंतुलित दिनचर्या और दर्द निवारक दवाओं के सेवन से किडनी फेलियर के मरीज बढ़ रहे](https://aapkarajasthan.com/static/c1e/client/91529/uploaded/33e0cab7ce051f363b5cd5bcabda47e7.jpg?width=968&height=500&resizemode=4)
गुर्दा शरीर का एसिड बेस करता है संतुलित: गुर्दे अथवा किडनी रीढ़ की हड्डी के दोनों सिरों पर बीन के आकार के दो अंग होते हैं। यह शरीर का महत्वपूर्ण अंग है। इसका मुख्य कार्य खून का साफ करना, पेशाब बनाना, मिनरल का अवशोषण करना, हार्मोन का निर्माण, शरीर के टॉक्सीन को बाहर निकालना एवं एसिड बेस का संतुलन बनाए रखना है। शरीर के रक्त का बड़ा हिस्सा गुर्दों से होकर गुजरता है। गुर्दों में मौजूद लाखों नेफ्रोन नलिकाएं रक्त को छानकर शुद्ध करती हैं। ये रक्त के अशुद्ध भाग को मूत्र के रूप में अलग भेजती हैं। गुर्दे की बीमारी का शुरुआती अवस्था में पता लगने पर दवाओं से उपचार संभव है, लेकिन समय पर उपचार नहीं मिलने पर आगे चलकर किडनी फेल हो सकती है।
बीमारी के लक्षण और बचने के उपाय
बार-बार पेशाब आना अथवा कम आना, चेहरे व पैरों में सूजन आना व चलने पर जल्दी सांस फूलना, भूख नहीं लगना, पेट में दर्द होना एवं उल्टी चालू होना आदि किडनी रोग के सामान्य लक्षण हैं। किडनी की बीमारियों से बचने के लिए बीपी व शुगर कंट्रोल करना बेहद जरूरी है। साथ ही, पर्याप्त मात्रा में पानी चाहिए। भोजन में नमक की मात्रा कम करने के साथ ही धूम्रपान व तंबाकू के सेवन से परहेज करें। दर्द निवारक दवाओं का सेवन भी जरुरी होने पर चिकित्सक की सलाह से ही करें। प्रथम स्टेज में किडनी की बीमारियों का दवाओं से इलाज संभव है। लेकिन क्रोनिक स्टेज में डायलिसिस व गुर्दा ट्रांसप्लांट ही इसका उपाय है। गुर्दे की बीमारियों से बचाव के लिए जीवनशैली में बदलाव बहुत जरूरी है। स्वस्थ दिनचर्या को अपनाकर गुर्दे की बीमारियों से बचा जा सकता है।