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Alwar शिशु मृत्यु दर में कोई नहीं आ रही कमी, मासूम मर रहे

 
Alwar शिशु मृत्यु दर में कोई नहीं आ रही कमी, मासूम मर रहे 
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर भले ही सरकार स्वास्थ्य सेवाओं में विस्तार के लिए हर स्तर पर सुविधाएं बढ़ाने का प्रयास कर रही हो, लेकिन धरातल पर इसका कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। यही वजह है कि शिशु मृत्यु दर पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में अप्रेल से दिसंबर तक 499 नवजात शिशुओं की मौत हो गई। जबकि शिशु मृत्यु़ दर में कमी लाने के लिए अस्पतालों में सभी अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। इसके बाद भी शिशु मृत्यु दर में कोई कमी दिखाई नहीं दे रही है। ऐसे में व्यवस्थाओं में खामियां भी साफ दिखाई दे रही हैं।

एनबीएसयू में भर्ती की जगह कर रहे रेफर: अलवर जिले के खेरली, कठूमर, मालाखेड़ा, राजगढ़, रामगढ़, गोविंदगढ़ व नारायणपुर ब्लॉक में गत वर्ष अक्टूबर में 1357 बच्चों ने जन्म लिया। इसमें से केवल 90 शिशुओं को ही भर्ती की सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसी तरह खैरथल-तिजारा जिले के किशनगढ़बास, खैरथल, कोटकासिम, तिजारा व मुंडावर ब्लॉक में 487 बच्चों का जन्म हुआ। इसमें से केवल 6 शिशुओं को ही एनबीएस यूनिट में भर्ती किया गया। वहीं, कोटपूतली बहरोड़ जिले के बानसूर, बर्डोद, मांढ़ण व नीमराणा ब्लॉक एवं बहरोड़ जिला अस्पताल में 504 बच्चों का जन्म हुआ। इस बीच 98 नवजात शिशुओं को ही भर्ती की सुविधा दी गई। खास बात यह भी है कि 17 में से 7 एनबीएस यूनिट में प्रवेश का आंकड़ा शून्य रहा। वहीं, कई ऐसी यूनिट्स भी है जहां मरीजों को भर्ती करने के बाद सभी को रेफर किया जा रहा है। इसके कारण जिला अस्पताल पर भी मरीजों को दबाव कम नहीं हो रहा है।

पिछले साल जिले में 28 दिन तक के 244, एक साल तक के 194 और 5 साल तक की आयु के कुल 499 शिशुओं की मौत हुई है। इसमें लक्ष्मणगढ़ में 48, मालाखेड़ा में 50, खेरली में 47, राजगढ़ में 28, रैणी में 34, थानागाजी में 50, गोविंदगढ़ में 37, शहरी क्षेत्र में 20, उमरैण में 36 एवं रामगढ़ में 149 शिशुओं की मौत हुई है।  जिला मुख्यालय पर राजकीय गीतानंद शिशु चिकित्सालय में फेसिलिटी बेस्ड न्यूबोर्न केयर यूनिट (एफबीएनसी यूनिट ) संचालित है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के 17 चिकित्सा संस्थानों में न्यूबोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू ) संचालित हैं। वहीं, गत वर्ष अप्रेल से दिसंबर तक 19 हजार 88 शिशुओं का जन्म हुआ। इसमें 9 हजार 973 बालक व 9 हजार 315 बालिकाएं शामिल हैं। इनमें से ग्रामीण क्षेत्रों में संचालित एनबीएस यूनिट में सिर्फ 1564 शिशुओं को ही भर्ती की सुविधा दी गई।