Alwar शिक्षा में गैजेट्स के कारण शिक्षक और छात्र के बीच आत्मीयता हो रही खत्म
चालू किस्म के शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान ज्यादा है, जिन्होंने शिक्षा में व्यवसाय का समावेश कर दिया है। इनका उद्देश्य शिक्षकों को कम वेतन देना और मुनाफा कमाना ज्यादा है। असंगठित व निजी शिक्षण संस्थान में शिक्षक होने को सुरक्षित नहीं माना जाता। सुविधा ज्यादा नहीं है, जबकि सरकारी क्षेत्र में शिक्षकों में सुरक्षा बहुत ज्यादा होती है। सरकार को शिक्षक चयन में योग्यता का समान करना चाहिए। नीतियों में सुधार हो, एकरूपता हो राजनीति नहीं हो। शिक्षा की निगरानी करने वाली संस्थाओं को ईमानदार बनाया जाए। निगरानी के लिए नियामक आयोग बने और स्पष्ट शिक्षा नीति बने। शिक्षा क्षेत्र में गुणवत्ता और समानता सुनिश्चित की जाए। समय के साथ चलने और विश्व के अच्छे संस्थानों से सीखने की आवश्कता, दूसरे क्षेत्र के पेशेवर विद्वानों को भी कक्षा लेने व शिक्षक संस्थान से जोड़ने का प्रावधान हो। अच्छे शिक्षक प्रशिक्षण संस्थानों को हर तरह से प्रोत्साहन मिलना चाहिए। शिक्षण संस्थानों में पद रिक्त नहीं रहने चाहिए। ऐसा होने से शिक्षकों के प्रति समान भी बढ़ेगा और उनकी उपयोगिता भी रहेगी।
मैं शिक्षक के पेशे को सबसे पवित्र पेशा मानती हूं। मेरे 35 वर्ष के सेवाकाल में यह महसूस किया गया कि यदि शिक्षक पूर्ण निष्ठा व ईमानदारी से अपना कार्य करें तो उसको पूरे समाज का समान प्राप्त होता है। जिस स्कूल में शिक्षकों को कर्तव्यनिष्ठ व कर्मठ टीम होती है। वह स्कूल निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर होता है तथा उस स्कूल से पढ़े बच्चे होनहार और अच्छे नागरिक बनते हैं। स्कूलों में नैतिक शिक्षा पर ज्यादा से ज्यादा ध्यान देना चाहिए। शिक्षा व्यवसायपरक हो, ताकि बच्चे स्कूल व कॉलेजों से निकलकर खुद का रोजगार शुरू करने में सक्षम हो सके। शिक्षक दिवस एक ऐसा दिन होता है जिस पर विद्यार्थी अपने गुरुजनों के वर्षभर के कार्य का भावनाओं से मूल्यांकन करते हैं। साथ ही शिक्षक को भी अहसास हो जाता है कि उसने स्कूल परिवार में छात्र हित में जो किया है, उसका प्रतिफल है। एक शिक्षक को सबसे अधिक खुशी तब होती है जब उसके विद्यार्थी अचीवमेंट/सफलता प्राप्त करता है। मैं कहना चाहूंगा कि शिक्षक को सिर्फ शिक्षक रहने दें अनावश्यक के गैर शैक्षणिक कार्यों से मुक्त किया जाए तो ओर अधिक ऊर्जा के साथ अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।