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Alwar शिक्षा विभाग पीट रहा है प्रवेशोत्सव का ढोल, कम नामांकन ने खोली पोल

 
Alwar शिक्षा विभाग पीट रहा है प्रवेशोत्सव का ढोल, कम नामांकन ने खोली पोल
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए हर साल शिक्षा विभाग नित नए प्रयोग कर रहा है, लेकिन ये प्रयोग विफल साबित हो रहे हैं। पिछले दो साल में 10 फीसदी यानि करीब 17 लाख विद्यार्थी सरकारी स्कूलों को छोड़कर चले गए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बच्चों के स्कूल छोड़ने की वजह क्या है ? भारी-भरकम तनख्वाह देने के बाद भी सरकारी स्कूलों के प्रति अभिभावकों का रुझान कम क्यों है ?

यों घट रहा है नामांकन: कक्षा 1 से कक्षा 12 तक सत्र 2021-22 में कुल नामांकन 98 लाख थे। सत्र 2022-23 में यह घटकर 90 लाख और 2023-24 में 81 लाख ही रह गए। पिछले तीन सत्रों में 17 लाख विद्यार्थी सरकारी स्कूल छोड़ चुके हैं। अलवर जिले की बात की जाए तो यहां 47 हजार 893 विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल को अलविदा कहा है।

सरकारी महाविद्यालयों का क्रेज, फिर विद्यालयों का क्यों नहीं ? :भले ही सरकारी स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को अध्ययन कराना पसंद नहीं करें, लेकिन कॉलेज शिक्षा आज भी सरकारी महाविद्यालयों में ही कराना चाहते हैं। जबकि सरकारी विद्यालयों में भी अध्ययन कराने वाले अध्यापक प्रतियोगी परीक्षा पास करके आते हैं। यह जरूर है कि प्राथमिक स्तर तक के विद्यालयों में सुविधाएं जीरो हैं। लेकिन 12वीं तक के विद्यालयों में सभी तरह की सुविधाएं विद्यार्थियों को उपलब्ध कराई जा रही हैं। राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ रेस्टा के प्रदेश प्रवक्ता बंसत कुमार ज्याणी ने बताया कि क्रमोन्नत स्कूलों में 2 सत्र बाद भी पद स्वीकृत नहीं करने, डीपीसी व स्टाफिंग पैटर्न को समय पर नहीं करने व रिक्त पदों के कारण सरकारी स्कूलों के नामांकन में कमी आ रही है।कोरोना काल खत्म होने के बाद अभिभावकों का निजी स्कूलों के प्रति रुख हुआ है। इससे सरकारी स्कूलों में नामांकन कम हुआ, लेकिन विभाग सरकारी स्कूलों में अधिक से अधिक विद्यार्थियों को जोड़ने का काम कर रहा है।