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Alwar सीडीपीओ नहीं है महिला पर्यवेक्षिका, आंगनबाडी केन्द्रों की मॉनिटरिंग कैसे हो?

 
Alwar सीडीपीओ नहीं है महिला पर्यवेक्षिका, आंगनबाडी केन्द्रों की मॉनिटरिंग कैसे हो?
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर महिला एवं बाल विकास विभाग के पास अधिकारियों का टोटा होने के कारण सरकारी योजनाओं की मॉनिटरिंग करना मुश्किल हो गया है। हालात यह है कि अधिकारी नहीं होने के कारण एक एक अधिकारी को दो से तीन जगहों का कार्यभार संभालना पड़ रहा है। विभाग में उपनिदेशक से लेकर कार्यकर्ता तक के आधे से ज्यादा पद खाली पडे़ हुए हैं।  जिले में 15 ब्लॉक हैं। इसमें से आधे जगहों पर ही सीडीपीओ, चाइल्ड डवलपमेंट प्रोजक्ट ऑफिसर, स्तर के अधिकारी लगे हुए हैं, जबकि आधी जगह खाली है। महिला एवं बाल विकास विभाग के पास 15 सीडीपीओ के पद है। इसमें से अलवर जिले में गोविंदगढ़, मालाखेडा, उमरैण, मुंडावर, तिजा रा, नीमराणा व कठूमर में सीडीपीओ के पद रिक्त है। जबकि लक्ष्मणगढ, अलवर शहर, राजगढ, रामगढ़, थानागाजी,बहरोड, बानसूर आदि ब्लॉक पर सीडीपीओ कार्यरत है।

महिला सुपरवाइजर भी कम: अलवर शहर सीडीपीओ के पास रामगढ़ का कार्यभार भी दिया हुआ है। इसके साथ ही उपनिदेशक की जिम्मेदारी भी दी हुई है। महिला सुपरवाइजर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सीडीपीओ के बीच की कड़ी होती है। विभाग के अनुसार 35 आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक महिला सुपरवाइजर का पद होना चाहिए। अलवर जिले में 158 आंगनबाड़ी केंद्रों पर मात्र 3 ही महिला सुपरवाइजर कार्यरत है। एक के पास 50 से ज्यादा केंद्रों को संभालने की जिम्मेदारी है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व सहायिका के भी अनेक पद खाली है।

केंद्रों पर यह रहता है काम: आंगनबाड़ी केंद्र पर करीब सवा लाख बच्चे पंजीकृत हैं। इसके साथ ही यहां पर गर्भवती महिलाएं, किशोरी बालिकाएं भी जुड़ी हुई है। आंगनबाड़ी केंद्र पर पोषाहार योजना, प्री स्कूल एजूकेशन, प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना, टीकाकरण आदि का काम होता है। इसके साथ ही चुनाव संबंधी कार्य में भी सीडीपीओ, सुपरवाइजर, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को लगाया जाता है।