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Alwar कीचड़ में फंसे मवेशी, न पैर उठा सकते हैं, न बैठ सकते

 
Alwar कीचड़ में फंसे मवेशी, न पैर उठा सकते हैं, न बैठ सकते
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर जयपुर की हिंगोनिया गोशाला का वो खतरनाक मंजर तो आपको याद होगा, जब कीचड़ में फंसकर सैकड़ों गोवंश काल का ग्रास बन गई था। इस मुद्दे पर पूरे देश की राजनीति गर्माई थी। इसे लेकर जयपुर नगर निगम की कार्यशैली पर सवाल भी उठे। कुछ ऐसा ही मंजर अलवर के बुध विहार में चल रहे नगर निगम के कांजी हाउस में भी देखने को मिल सकता है। पिछले दिनों हुई बारिश के बाद यहां दो से तीन फीट तक कीचड़ जमा हो गया है। इस कीचड़ में गोवंश फंस गया है। न चलते बन पा रहा है और न ही बैठते। फिर भी सरकारी कारिंदों की इस पर नजर नहीं जा रही है। इस समय यहां गोवंश की संख्या 200 है।

सड़क से पकड़कर यहां लाते हैं गोवंश: शहर की सड़कों पर घूमने वाले लावारिस गोवंश को पकड़कर यहां लाया जाता है। इसमें ज्यादातर गायें हैं। जब ये दूध देना बंद कर देती है तो पशुपालक इन्हें खुले में छोड़ देते हैं। जो दुधारू गाय होती है, उसका मालिक अगर गाय को छुड़ाने आता है तो उसे 3100 रुपए देने पड़ते हैं। इसके अलावा 100 रुपए रोज के हिसाब से चारे-पानी का पैसा भी देना पड़ता है। इसके अलावा यहां नंदी भी पाले जा रहे हैं। पकड़े गए गोवंश को पहले अशोका टाकीज के समीप कांजी हाउस में रखा जाता है। यदि कोई पशुपालक लेने नहीं आता है तो इनको बुध विहार की कांजी हाउस में भेज दिया जाता है।

हरा चारा भी नहीं मिल रहा: यहां काम करने वाले कर्मचारियों ने बताया कि गोशाला के लिए सूखे चारे का ही बजट दिया जाता है। हरा चारा दानदाताओं के सहयोग से ही मिल पा रहा है। सूखे चारे का बजट भी समय पर नहीं आता है। इस वजह से गोवंश को भरपेट चारा भी नहीं मिल पा रहा है।

सीसीटीवी कैमरे नहीं: यहां सीसीटीवी कैमरे भी नहीं हैं। ताकि यहां की अव्यवस्थाओं की पोल बाहर तक नहीं जाए। स्थानीय नागरिकों ने बताया कि बारिश के दौरान कीचड़ में रहने और एक दूसरे को गिराने पर गोवंश की मौत हो जाती है। कोई इन अव्यवस्थाओं की फोटो-वीडियो बनाता है तो कर्मचारी झगड़े पर उतारू हो जाते हैं।