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Alwar बीजेपी ने जिले में चुनाव की स्ट्रेटजी बदली, सनातन पर जोर रहा

 
Alwar बीजेपी ने जिले में चुनाव की स्ट्रेटजी बदली, सनातन पर जोर रहा

अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर लोकसभा सीट पर हो रहे चुनाव में बीजेपी नेताओं ने अपनी स्ट्रेटजी बदली है। 3 महीने पहले हुए विधानसभा चुनाव में तो बाबा बालकनाथ की जुबां पर सनातन रहा और बुलडाेजर पर सवार होकर एंट्री की थी। उनके नामांकन के समय ही यूपी के सीएम की बड़ी सभा हो गई थी। जिससे कई सीटों पर असर पड़ा था। लेकिन अब लोकसभा के चुनाव में सनातन और बुलडोजर दोनों गायब हैं। बीजेपी के प्रत्याशी भूपेंद्र यादव केवल मोदी की गारंटी का जिक्र दोहराते रहे हैं। मतलब विधानसभा की तुलना में लोकसभा के चुनाव में आमजन का क्रेज कम है।

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तिजारा से बाबा बालकनाथ को टिकट मिलेगा। इसकी किसी को उम्मीद नहीं थी। आमजन का अनुमान था कि उनको बहरोड़ से टिकट मिलेगा। लेकिन वहां से नहीं देकर तिजारा दिया गया। इसके बावजूद बालकनाथ ने मेव बाहुल्य क्षेत्र से सीट को निकाल लिया। लेकिन बाबा बालकनाथ का चुनाव लड़ने का अंदाज अग्रेसिव रहा था। जनता उनसे जुड़ती चली गई थी। पूर्व विधायक मामन यादव भी खुद ही बाबा के समर्थन में आ गए थे। जिन्होंने पहले निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया था। फिर नामांकन के समय यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने आकर जनसभा काे संबोधित किया। जिसमें बड़ी भीड़ उमड़ी थी। भूपेंद्र यादव भी बड़े नेता हैं। इनकी सभा में प्रदेश के सीएम भजनलाल शर्मा आए थे।

लोकसभा चुनाव में अब 14 दिन बचे

लोकसभा के चुनाव में अब केवल 14 दिन बचे हैं। बीजेपी के किसी बड़े नेता की जनसभा नहीं हो सकी है। वहीं बीजेपी के प्रत्याशी भूपेंद्र यादव ने टिकट मिलने के बाद साधारण तरीके से भिवाड़ी से अपने लोकसभा क्षेत्र में एंट्री ली थी। वे बाबा मोहनराम सहित कई मंदिरों में गए थे। उसके बाद प्रचार में लग गए। लेकिन वे बुलडोजर पर अधिक नहीं दिखे। न सनातन पर बड़ा फोकस रहा। केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की गारंटी की बात करते रहे हैं। राम मंदिर बनाने व धारा 370 हटाने का हवाला देकर जनता के बीच पहुंचते हैं। उसी आधार पर वोट की अपील करते हैं।

बीजेपी के नेताओं में अंदरुनी फूट के संकेत

बीजेपी के नेताओं में अंदरुनी फूट के संकेत हैं। दो दिन पहले देवनारायण को लेकर बहरोड़ विधायक ने कोई अस्पष्ट बयान दिया। उसके बाद गुजर्र समाज के लोगों ने दो-तीन जगहों पर विधायक जसवंत यादव का पुतला फूंका है। वैसे भी बीजेपी के जो नेता भूपेंद्र यादव के अधिकत नजदीक हैं। उनके कारण दूसरे नेता उतने सक्रिय नहीं है। इसका खमियाजा हो सकता है। हालांकि इस बात को बीजेपी के बड़े नेता समझ चुके हैं। लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका है। दूसरी तरफ कांग्रेस में भी एकजुटता कम दिखी है। अलवर शहर में ही कांग्रेस कमजोेर लगती है। बाकी जगहों पर बराबर की टक्कर है।