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Alwar में गाय के दूध-गोबर से खेती कर किसान बना करोड़पति, 2 करोड़ तक कमाए, पेस्टीसाइड-यूरिया का इस्तेमाल नहीं और बंपर उत्पादन

 
अलवर में गाय के दूध-गोबर से खेती कर किसान बना करोड़पति, 2 करोड़ तक कमाए, पेस्टीसाइड-यूरिया का इस्तेमाल नहीं और बंपर उत्पादन

अलवर न्यूज़ डेस्क, दो कमरों के घर में रहने वाला एक युवा किसान कृषि में प्रयोग करके अपनी किस्मत और समय बदलता है। अलवर शहर से 10 किमी दूर गुजुकी एक छोटा सा गांव है। अब गांव के किसान जितेंद्र कुमार सैनी (40) का पता कोई भी बता सकता है। उनके खेत में एक पॉली हाउस है और वह गाय के दूध से खेत की सिंचाई करते हैं।

यह अजीब लग सकता है। पॉली हाउस जैसी आधुनिक खेती को मानने वाले जितेंद्र खाद के मामले में आधुनिक नहीं हैं। वे खेत में रासायनिक दवाओं, कीटनाशकों या उर्वरकों का उपयोग नहीं करते हैं। इसके बजाय, वह 16 गायों को खाद बनाने के लिए रखता है। इन गायों के दूध, मूत्र, दही, छाछ, घी को एक साथ मिलाकर खाद बनाया जाता है और कृषि में उपयोग किया जाता है। यह दावा किया जाता है कि ऐसा करने से उनकी भूमि की उर्वरता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई और उत्पादन लगभग दोगुना हो गया।
2012 तक दो कमरे, अब कमा रहे 2 लाख प्रति माह

जितेंद्र का घर गुजुकी गांव में है। घर में 15 सदस्य हैं। सब खेती कर रहे हैं। 2010 तक परिवार पारंपरिक खेती कर रहा था। 2 कमरों के घर में एक बड़ा परिवार रहता था। तीन बीघा जमीन पर परिवार मुश्किल से चल पाता था। एक साल की कड़ी मशक्कत के बाद बमुश्किल 1 लाख रुपये बच पाए। इसके बाद जितेंद्र ने खेत में पॉली हाउस बनाने का सोचा। कृषि में नए प्रयोगों पर किसानों को सब्सिडी मिलती है। 2012 में जितेंद्र ने 3 बीघा खेत में पॉली हाउस बनाया।
10 साल में अब जितेंद्र का परिवार खुश है। अब जितेंद्र की कमाई 2 लाख रुपए महीना है। जितेंद्र ने 2012 में अपनी 3 बीघा जमीन पर पॉली हाउस बनवाया था। 10 साल में जितेंद्र ने पॉली हाउस से 3 करोड़ रुपए का बिजनेस किया है। पहले 5 साल में यह बिजनेस 1 करोड़ का था। पिछले 5 साल में यह बढ़कर 2 करोड़ हो गई है। जितेंद्र समेत 3 भाई एक साथ रहते हैं। माता-पिता पास हैं। जितेंद्र ने 12वीं तक पढ़ाई की है। एक और भाई महेंद्र ने भी 12वीं तक पढ़ाई की है। तीसरा भाई विजेंद्र स्नातक है। तीनों भाई मिलकर खेती करते हैं।

दिल्ली के आईसीएआर के दौरे ने बदल दी जीतेंद्र की जिंदगी

जितेंद्र ने कहा कि वर्ष 2010 में क्षेत्र के किसानों का एक दल कृषि विभाग की ओर से भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (आईसीएआर) गया था। जितेंद्र भी इसी टीम का हिस्सा थे। वहां उन्हें पॉली हाउस कृषि के बारे में बताया गया। नई तकनीक के बारे में जानकारी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. नीलम पटेल ने बहुत मदद की। वह कई बार जितेंद्र के घर आई और उन्हें खेती की नई तकनीक बताई।
जितेंद्र ने कहा कि उन्होंने सबसे पहले अपने खेत में सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम लगाया। पोली हाउस के लिए पीएनबी बैंक से कर्ज लिया, जिस पर सरकार ने 75 फीसदी सब्सिडी दी। साल 2012 में 20 लाख का कर्ज लेकर पॉली हाउस बना और अच्छी कमाई करने लगा। इसके बाद गोबर गैस प्लांट के बारे में जानकारी मिली।