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Alwar जांच में गायब मिले 28 हैंडपंप 6 माह बाद अचानक हुए प्रकट, मामला दबाने में जुटे अफसर

 
Alwar जांच में गायब मिले 28 हैंडपंप 6 माह बाद अचानक हुए प्रकट, मामला दबाने में जुटे अफसर

अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर ग्राम पंचायत चीडवा में 56 हैंडपंप लगाने में हुए करीब 35 लाख के घोटाले को रफा-दफा करने के लिए जिला परिषद ने दुबारा जांच शुरू कर दी है। नवंबर 2022 में पंचायत समिति सदस्य सुनील गडई ने घोटाले का आरोप लगाए थे। मामला मीडिया में आने पर विभाग ने दबाव में जांच कमेटी बनाई। जिसने फरवरी 2023 में दी रिपोर्ट में बताया कि 56 में से 28 हैंडपंप तो लगे ही नहीं, जबकि 13 में सिर्फ बोरिंग खोद कर छोड़ दी गई। इन कार्यों की लागत करीब 35 लाख थी। इसमें दोषियों पर रिकवरी भी निकाली गई। मगर कार्रवाई नहीं की। इस दरम्यान भ्रष्ट अफसर-ठेकेदारों ने नदारद हैंडपंपों की जगह लीपापोती कर दी। इसके बाद सुनियोजित तरीके से दुबारा जांच शुरू करा दी है। जिसमें मौके पर हैंडपंप मौजूद होना बता दोषियों को बचाने की कवायद की जा रही है। मौजूदा विकास अधिकारी चीड़वा रतन सिंह ने मामला अपने कार्यकाल का नहीं होने का कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं।

सत्यापन टीम गांव पहुंची तो कुछ हैंडपंप और इनमें डाले गए पाइप नदारद थे। कई जगह पाइप आसपास के घरों के छप्परों में बंधे मिले। जांच कमेटी पहुंची तो पुर्जे और पाइप आसपास के घरों में रखवा दिए गए। ताकि जांच में हैंडपंपों की संख्या पूरी बताई जा सके। कई हैंडपंप पर ऊपर का हिस्सा नहीं होने से लोगों ने बोरिंगों में मोटर डाल ली। इससे खेतों में सिंचाई होती मिली। नियमानुसार हैंडपंप सार्वजनिक या सरकारी जमीन पर पर लगने थे, मगर चीड़वा पंचायत में ज्यादातर निजी भूमि पर लगे मिले। दरअसल चीड़वा ग्राम पंचायत में 2019-20 व 2020 -21 में 56 हैंडपंप लगाए गए। नवम्बर 2022 में पंस सदस्य ने बिना हैंडपंप लगाए भुगतान की शिकायत कर कर सत्यापन की मांग की। मगर कोई एक्शन नहीं लिया गया। मामला मीडिया में पहुंचा तो 16 जनवरी 2023 को टीम बनाकर 7 दिन में रिपोर्ट मांगी गई।

जांच टीम में शामिल सहायक विकास अधिकारी अखिलेख गुप्ता, सहायक विकास अधिकारी रामप्रसाद, सहायक लेखाधिकारी योगेश पालीवाल, कनिष्ठ अभियन्ता शबनम, सहायक विकास अधिकारी हरिसिंह ने 53 दिन जांच की। नौ बार सत्यापन दल मौके पर गया और 14 फरवरी 2023 को 119 पन्नों की रिपोर्ट जिप को सौंपी। टीम को मौके पर सिर्फ एक हैंडपंप चालू मिला जबकि 28 नदारद थे। करीब 9 हैंड पंप बंद और 13 में केवल बोरिंग होना पाया गया। इनमें भी 5 हैंडपंप का सत्यापन दोषी कार्मिकों का सहयोग नहीं मिलने से छूट गया। कनिष्ठ तकनीकी सहायक संतोष कोली, भूपेश शर्मा तत्कालीन कनिष्ठ सहायक चीड़वा, सतीश कुमार शर्मा व गौरव अरोडा तत्कालीन ग्राम विकास अधिकारी चीडवा ने हैंडपंपों के जांच बिंदु व लोकेशन पर सहयोग नहीं किया। इस पर उन्हें सिर्फ नोटिस देकर छोड़ दिया। ऐसे समझे घोटाले का गणित : दो वित्तीय वर्ष में 56 हैंडपंप लगाने पर कुल 47 लाख 45 हजार 821 रुपए खर्च किए गए। इनमें 28 तो लगे ही नहीं और 13 में केवल बोरिंग करके छोड़ दी। जबकि इनके एवज में करीब 35 लाख रुपए का भुगतान उठाया गया। जिप अलवर ने सत्यापन दल की रिपोर्ट के आधार उत्तरदायी कार्मिकों से वसूली के आदेश जारी किए। इनमें पूर्व ग्राम विकास अधिकारी चीड़वा भूपेश शर्मा को 2 लाख 65 हजार 760 की वसूली आदेश पर हाईकोर्ट से स्टे मिल गया।