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अब कहां शिफ्ट होगा 7 वंडर्स! सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया 30 दिन का अल्टीमेटम, कहा - 'हटाएं या तोड़ दें वरना होगी कार्यवाही'

 
अब कहां शिफ्ट होगा 7 वंडर्स!  सुप्रीम कोर्ट ने दे दिया 30 दिन का अल्टीमेटम, कहा - 'हटाएं या तोड़ दें वरना होगी कार्यवाही'

हाल ही में राजस्थान के अजमेर में आना सागर झील के किनारे बने सेवन वंडर्स पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई थी। हालांकि मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद इस पर रोक लगा दी गई थी। एनजीटी ने इस निर्माण को अवैध और नियमों का उल्लंघन बताते हुए इसे तोड़ने के आदेश दिए थे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि भले ही निर्माण खूबसूरत हो, लेकिन अगर नियमों का उल्लंघन किया गया है तो उसे तोड़ना ही होगा. जिसके बाद बुलडोजर की कार्रवाई शुरू हुई. इस दौरान पार्क में लगी स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की मूर्ति को भी हटा दिया गया. वहीं सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर होने के बाद कार्रवाई पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने फिर से 7 वंडर्स को हटाने का आदेश दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान सरकार को आदेश दिया है कि वह इन निर्माणों को तोड़ दे या कहीं और हटा दे। कोर्ट ने सरकार को 16 मई तक आदेश का पालन करने को कहा है। ऐसे में अब 7 वंडर्स को हटाने के लिए 30 दिन का समय है।

वेटलैंड देने के प्रस्ताव पर कोई ठोस निर्णय नहीं
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि आनासागर की वेटलैंड के बदले दूसरी वेटलैंड देने के प्रस्ताव पर फिलहाल कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है। सरकार को इस प्रस्ताव पर विस्तृत और वैज्ञानिक योजना पेश करने को कहा गया है। यह राज्य सरकार के लिए बड़ी चुनौती है। सवाल यह है कि सात अजूबों को कहां शिफ्ट किया जाएगा और इस पर कितना खर्च आएगा।

कोर्ट ने सरकार को सात अजूबों को ध्वस्त करने के मामले में अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का भी निर्देश दिया। कोर्ट ने राज्य सरकार से कुछ महत्वपूर्ण रिपोर्ट भी मांगी हैं, जैसे दोनों वेटलैंड पर विस्तृत प्रस्ताव, नीरी और अन्य विशेषज्ञों की रिपोर्ट, सात अजूबों को ध्वस्त करने की रिपोर्ट और फूड कोर्ट को हटाने की स्थिति पर रिपोर्ट। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वेटलैंड का मामला सुलझने के बाद पार्क से जुड़े मुद्दों पर सुनवाई की जाएगी। अब इस मामले की अगली सुनवाई 16 मई 2025 को होगी, तब तय होगा कि आगे क्या कदम उठाए जाएंगे।

120 करोड़ के नुकसान की स्थिति
एनजीटी ने अपने फैसले में स्पष्ट निर्देश दिए थे कि वेटलैंड क्षेत्र में कोई निर्माण कार्य नहीं होना चाहिए, लेकिन अधिकारियों ने नियमों की अनदेखी कर निर्माण कार्य जारी रखा। इससे 120 करोड़ रुपए के नुकसान की स्थिति पैदा हो गई। भाजपा नेता शेखावत ने मांग की कि इस नुकसान की भरपाई उन अधिकारियों से की जाए, जिन्होंने मनमाने तरीके से निर्णय लिए। एनजीटी ने कहा था कि अजमेर स्मार्ट सिटी के तहत बनाए गए पार्क से झील के वेटलैंड के पारिस्थितिकी संतुलन को नुकसान पहुंचेगा।