कल से शुरू हो रहा होलाष्टक नहीं होगा कोई भी मांगलिक कार्यक्रम, जानिए 13 मार्च को क्या है होलिका दहन का शुभ मुहूर्त ?
अजमेर न्यूज़ डेस्क - हिंदू धर्म में होलाष्टक को शुभ नहीं माना जाता है। इस दौरान कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। पंचांग के अनुसार होलाष्टक होली से आठ दिन पहले शुरू होते हैं और होलिका दहन के साथ समाप्त होते हैं। हिंदू कैलेंडर के अनुसार होलाष्टक फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शुरू होते हैं। ये आठ दिनों के होते हैं। ऐसे में 2025 में होलाष्टक कब शुरू होंगे और कब खत्म होंगे और होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब है और होलाष्टक के दौरान कौन से काम नहीं करने चाहिए, आइए जानते हैं इस बारे में पंडित पवन कुमार ने क्या बताया।
13 मार्च को समाप्त होगा होलाष्टक
आपको बता दें कि इस बार होलाष्टक 7 मार्च से शुरू हो रहा है। इस दौरान विवाह समेत अन्य शुभ कार्य नहीं किए जा सकेंगे। होलाष्टक 13 मार्च को समाप्त होगा और इसी दिन होलिका दहन भी होगा। क्योंकि, इस बार मार्च से अप्रैल तक शुभ तिथियां नहीं मिलेंगी, ऐसे में शुभ कार्यों पर रोक रहेगी।
नकारात्मक ऊर्जा का होता है असर
इस बारे में पंडित पवन कुमार ने लोकल 18 को बताया कि होलाष्टक फाल्गुन शुक्ल पक्ष की अष्टमी से शुरू हो जाता है। यह फाल्गुन पूर्णिमा यानी होलिका दहन तक रहता है। इस दौरान विवाह, मुंडन, नामकरण, गृह प्रवेश जैसे शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। इस दौरान सभी ग्रह उग्र अवस्था में होते हैं और नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है। इसलिए शुभ कार्यों की मनाही होती है।
होलिका दहन का शुभ मुहूर्त कब है
पंडित पवन कुमार ने बताया कि होलिका दहन पूर्णिमा पर 13 मार्च को रात 11.28 बजे से 12.32 बजे तक होगा। क्योंकि इस दौरान भद्रा खत्म हो जाएगी। फाल्गुनी पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10.36 बजे से 14 मार्च को दोपहर 12.24 बजे तक रहेगी। इसके साथ ही भद्रा भी रात 11.28 बजे तक रहेगी। भद्रा के मुख का समय रात 8.14 बजे से 10.22 बजे तक और भद्रा की पुच्छ का समय शाम 6.57 बजे से 8.14 बजे तक रहेगा। इस कारण दहन-पूजन के लिए सिर्फ 1 घंटा 4 मिनट का समय मिलेगा। फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा 13 मार्च को सुबह 10.36 बजे के बाद शुरू होगी और 14 मार्च को आधे दिन तक रहेगी। वे बताते हैं कि होली का त्योहार 14 मार्च से पहले ही उच्च शुक्र, सिंह राशि के चंद्रमा और मीन संक्रांति से मनाया जाएगा।
