Ajmer में खुला प्रदेश का एकमात्र जेल प्रशिक्षण केन्द्र, आज स्थापना दिवस
अजमेर न्यूज़ डेस्क, राजस्थान की सभी 155 जेलों में बंदियों को संभाल रहे अफसर अजमेर की ही देन हैं। साथ ही यहां नियमित रूप से जेल अफ़सर तैयार किये जा रहे है। उन्हें जेलों में हार्डकोर क़ैदियों से लेकर विचाराधीन बंदियों तक को बेहतर तरीक़े से संभालने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है।
अजमेर शहर में राजस्थान जेल विभाग का एकमात्र कारागार प्रशिक्षण संस्थान ( जेटीआई ) स्थापित है । जेटीआई गत 4-5 वर्षों से अपने नवाचारों के लिए लगातार चर्चा में है। अजमेर में यह जयपुर रोड पर घूघरा में हाई सिक्योरिटी जेल के सामने स्थित है। लगभग 7 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला जेटीआई वर्ष 1996 से इस भवन में संचालित है।प्रिंसिपल पारस जांगिड़ ने बताया कि जेल ट्रेनिंग सेंटर राजस्थान कारागृह विभाग का एकमात्र प्रशिक्षण संस्थान है। जहां जेल कार्मिकों को तैयार किया जाता है। आज जेटीआई को 48 वर्ष पूरे हो चुके हैं।राजस्थान में जितने भी कारागृह कर्मी भर्ती होते हैं या विभाग जॉइन करते हैं उन सभी की ट्रेनिंग यहीं पर होती है। एक बार में 300 लोगों को ट्रेनिंग दी जा सकती है। जिसमें विभिन्न कैडर्स के अधिकारी और कर्मचारियों को ट्रेनिंग दी जाती है। इसमें त्रिस्तरीय भर्ती होती है। जिसमें प्रहरी, डिप्टी जेलर और डिप्टी सुपरीटेंडेंट भर्ती होते हैं। इसके अलावा पीएससी( प्रमोशन कैडर कोर्स) होता है। इस कोर्सेज में हेड वार्डर, जेलर और अन्य सभी को ट्रेनिंग दी जाती है।
हथियार और बिना हथियारों की भी ट्रेनिंग
प्रिंसिपल पारस जांगिड़ ने बताया जेटीआई में किसी भी परिस्थितियों में लड़ने के लिए क्या जरूरी है इसकी ट्रेनिंग दी जाती है। जेल के अंदर हथियार ले जाने पर पाबंदी है। इसलिए बिना हथियार कैदियों से कैसे लड़ा जाए इसकी भी ट्रेनिंग होती है। यहां मिनी फायरिंग रेंज भी है। जहां पर हथियारों का भी प्रशिक्षण दिया जाता है।
प्रदेश का एकमात्र प्रशिक्षण संस्थान जेटीआई
जेटीआई की स्थापना 20 दिसंबर 1976 को केंद्रीय कारागृह अजमेर के महिला बंदी सुधार गृह के पुराने भवन में (वर्तमान में संचालित टाडा कोर्ट के पास) की गई थी। चेतन देव उपाध्याय इसके संस्थापक प्राचार्य रहे है। इस भवन में जेटीआई दिसंबर 1976 से दिसंबर 1990 तक संचालित रहा।
फिर इसे किशोर बंदी सुधारगृह घूघरा के नवीन भवन में स्थानांतरित किया गया। जहाँ पर यह दिसंबर 1990 से जुलाई 1996 तक संचालित हुआ। किशोर बंदी सुधारागृह को वर्ष 2015 में हाई सिक्योरिटी जेल में बदला गया है।
जेल ट्रेनिंग सेंटर में मेटल डिटेक्टर और बॉडी स्केनर के साथ अन्य मशीनों की भी ट्रेनिंग दी जाती है।
जेल ट्रेनिंग सेंटर में मेटल डिटेक्टर और बॉडी स्केनर के साथ अन्य मशीनों की भी ट्रेनिंग दी जाती है।
ये कराये जाते हैं कोर्स
जेटीआई में कारागार अधिकारियों एवं कर्मचारियों को संस्थागत एवं प्रमोशन कैडर कोर्स (पीसीसी) तथा विशेष रिफ़्रेशर कोर्स का प्रशिक्षण दिया जाता हैं। यहाँ पर प्रहरी, डिप्टी जेलर, डिप्टी एसपी (जेल) संवर्ग के क्रमशः 6 माह, 9 माह तथा 9 माह के संस्थागत प्रशिक्षण आयोजित की जाती है। प्रमोशन कैडर कोर्स (पीसीसी) में मुख्य प्रहरी, डिप्टी जेलर तथा जेलर संवर्ग के पाठ्यक्रम नियमित अंतराल पर आयोजित किए जाते हैं।इसके अलावा कुछ विशेष पाठ्यक्रम जैसे मानवाधिकार, बंदी मृत्यु उपरांत प्रक्रिया, नये आपराधिक कानून, सुरक्षाकर्मी रिफ़्रेशर कोर्स, मन्त्रालयिक कर्मचारी पाठ्यक्रम, ई-प्रिजंस, आईसीजेएस आदि पर कार्यशाला, व्याख्यान, परिचर्चा, सेमिनार के आयोजन होते हैं।
अभी तक हजारों जेल कर्मचारी तथा सैकड़ों जेल अधिकारी प्रशिक्षित
जेटीआई में सितम्बर माह के अंत तक हजारों जेल कर्मचारी तथा सैकड़ों जेल अधिकारी प्रशिक्षित किए जा चुके हैं। वर्ष 2020 में 410, 2021 में 508, 2022 में 813, 2023 में 830, तथा 2024 में सितंबर तक 543 जेल अधिकारियों तथा कर्मचारियों को प्रशिक्षित क्या जा चुका हैं। सभी प्रशिक्षण कार्यक्रम कारागार विभाग द्वारा ही प्रायोजित होते हैं। गत जुलाई माह में पहले बार भारत सरकार के गृह मंत्रालय के अधीन पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो नई दिल्ली के तत्वावधान में नये आपराधिक कानून-2024 विषय पर तीन दिवसीय पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया।हाल ही में सात उप अधीक्षक (जेल) आरएएस भर्ती परीक्षा 2021 द्वारा चयनित होकर ओटीएस जयपुर से फाउंडेशन कोर्स करके संस्थागत प्रशिक्षण हेतु जेटीआई में उपस्थित हुए है। राजस्थान लोक सेवा आयोग में डिप्टी जेलर के 73 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया जारी हैं। साथ ही 800 से अधिक पदों पर प्रहरी संवर्ग की भर्ती संभावित हैं। भर्ती उपरांत इनका प्रशिक्षण जेटीआई में होगा।
6 सुविधापूर्ण छात्रावास
जेटीआई में 300 अधिकारी-कर्मचारी एक साथ एक समय में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं। यहाँ पर प्रशिक्षण के लिए 6 छात्रावास हैं। प्रहरी संवर्ग के लिये जयगढ़ तथा मेहरानगढ़, मुख्य प्रहरी के लिए जूनागढ़, जेलर संवर्ग के लिये कुंभलगढ़, उप अधीक्षक एवं उच्चतर स्तर के लिये रणथंभोर तथा महिला प्रशिक्षुओं के लिए तारागढ़ छात्रावास की व्यवस्था हैं। लोहागढ़ में प्रशिक्षुओं के लिए जिम्नेजियम है जहाँ पर विभिन्न प्रकार की मशीन एवं व्यायाम उपकरण लगे हुए हैं। प्रशिक्षुओं के लिए परेड ग्राउंड, रॉल कॉल ग्राउंड, खेल मैदान की व्यवस्था हैं। यहाँ पर इंडोर तथा आउटडोर खेलों के मैदान तथा कोर्ट हैं।
ये है प्रशिक्षण सुविधाऐं
जेटीआई का प्रशासनिक एवं शैक्षणिक भवन एक साथ है। प्रशासनिक भवन में प्राचार्य, उप प्राचार्य, पाठ्यक्रम प्रभारी, एमडीआई-पीटीआई, प्रशासनिक अधिकारी, संस्थापन आदि कक्ष स्थित हैं। शैक्षणिक भवन में तीन आधुनिक कक्षा कक्ष, तीन अन्य कक्षा-कक्ष, पुस्तकालय, वीडियो कान्फ्रेंस कक्ष, सभाकक्ष, ई-प्रिजन लैबोरेटरी, सुरक्षा उपकरण कक्ष, शस्त्रागार आदि स्थित हैं। यहाँ पर ऑनलाइन तथा ऑफलाइन प्रशिक्षण की सुविधा भी उपलब्ध हैं। प्रशिक्षण संस्थान वाई-फाई सुविधा से युक्त है।
आउटडोर एवं इण्डोर प्रशिक्षण
प्रशिक्षण में सभी प्रशिक्षुओं को कारागार प्रबंध एवं सुधारातमक प्रशासन का प्रशिक्षण दिया जाता है। इसमें आउटडोर एवं इंडोर प्रशिक्षण शामिल होता है। पाठ्येतर गतिविधियों में प्रत्येक बैंच को नाग पहाड़ी की ट्रेकिग, जेल संबंधी विषयों से जुड़ी फ़िल्में दिखाकर , जिला प्रशासन द्वारा आयोजित विभिन्न दौड़ कार्यक्रमों में भाग लेना, विभिन्न उपेक्षित स्थानों पर साफ़-सफ़ाई में प्रशिक्षुओं को शामिल करना,परम्परागत ग्रामीण खेलों को पुनः प्रचलन में लाना, भारत सरकार के प्रारूप अनुसार विभिन्न प्रकार की शपथ प्रशिक्षुओं को दिलाना, राज्य स्तरीय प्रिजन ड्यूटी मीट का आयोजन कराना, दीक्षान्त परेड समारोह आदि कार्यक्रम आयोजित किए जाते है ।
प्रशिक्षुओं की दिनचर्या
जेटीआई में प्रशिक्षण ले रहे सभी प्रशिक्षुओं को प्रतिदिन एक पूर्व निर्धारित दिनचर्या के अनुसार काम करना होता है। एमडीआई अशोक कुमार शर्मा के अनुसार प्रशिक्षुओं के लिए दिन भर में चार बार रॉल कॉल होता हैं। पहला पीटी कालांश में, दूसरा ड्रील कालांश में , तीसरा फटीग कालांश में तथा शाम 6 बजे। सभी रॉल कॉल में प्रशिक्षुओं को उपस्थित होना अनिवार्य है। पीटी कालांश में व्यायाम, योग, ध्यान, आत्मरक्षा के सबक सिखाए जाते है।ड्रील कालांश में मार्च करना, कमांड देना, ड्रील करना, मस्केट्री में हथियारों की सिखलाई दी जाती हैं। इंडोर कालांशों में 75 मिनट के चार कालांश होते हैं जिनमें कारागार प्रबंध, समाजशास्त्र, अपराधशास्त्र, दंडशास्त्र, विधि, प्राथमिक चिकित्सा, कारागार कृषि एवं उद्योग आदि का अध्ययन कराया जाता हैं। जेल की विभिन्न घटनाओं पर आधारित केस स्टडीज पर विशेष ध्यान दिया जाता हैं। प्रतिदिन सायं एक घंटे तक श्रमदान अनिवार्य है।इसके साथ ही एक घंटे का खेल कालांश भी लेना अनिवार्य हैं। सायं के रॉल कॉल उपरांत प्रशिक्षण गतिविधियाँ समाप्त हो जाती हैं। प्रशिक्षुओं को माह में एक बार जेल विषय की फ़िल्मे दिखाई जाकर उसके सबक बताये जाते हैं।
जेटीआई सरोकार भी निभा रहा
जेटीआई ने सामाजिक, और पर्यावरण सरोकार से जुड़े कई उल्लेखनीय कार्य भी किए। संस्थान को कंटीली झाड़ियों से मुक्त किया। संस्थान में विभिन्न एनजीओ की सहायता से लगभग चार हजार छायादार एवं फलदार पेड़-पौधे लगाए गए हैं। जेटीआई को ग्रीन जोन के रूप में तैयार किया गया है। इस कार्य में ग्रीन आर्मी, महावीर इन्टरनेशनल, इनर व्हील क्लब, लायंस क्लब, क्लिक हैप्पीनेस, अजमेर बाइकर्स क्लब, अजमेर फ्लाईंग बर्डस सोसायटी, अजमेर लेखिका मंच आदि संस्थाओं का नियमित सहयोग मिल रहा है
प्राचार्य एवं प्रशिक्षकगण
वर्तमान में कारागार प्रशिक्षण संस्थान (जेटीआई) के प्राचार्य पद पर पारस मल जांगिड़ कार्यरत है। जेटीआई प्राचार्य का पद जेल अधीक्षक स्तर का होता है। जांगिड को पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो, नई दिल्ली द्वारा अखिल भारतीय स्तर पर कई समितियों में कारागार विषयों पर सलाह के लिए नियुक किया जाता है। उन्होंने अखिल भारतीय स्तर पर उपयोगी 52 प्रिजन ट्रेनिंग मैनुअल तैयार करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वर्तमान में वे नेशनल प्रिजन ट्रेनिंग पॉलिसी की ड्राफ्टिंग कमेटी के सदस्य है। अशोक कुमार शर्मा भारतीय वायु सेवा से रिटायर्ड है तथा जेटीआई में मस्केट्री एवं ड्रील इन्स्ट्रेक्टर (एमडीआई) के पद पर कार्यरत है। वे विभाग में प्रशिक्षण के आधार स्तम्भ हैं। हीना खान डिप्टी जेलर, प्रहलाद राय गुर्जर (आउटडोर प्रभारी), सुरेश कुमार चौधरी (इन्डोर प्रभारी), बनवारी लाल शर्मा, सोमराज पूनिया, सुभाष विश्नोई, सुभाष चन्द्र तथा देवेन्द्र सिंह गुर्जर आदि सहायक प्रशिक्षक के रूप में सहयोग कर रहे है।
