सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा अजमेर स्थित Anasagar झील का मामला, सख्ती के बाद सरकार ने जारी किया दो वेटलैंड विकसित करने का प्रस्ताव

सुप्रीम कोर्ट में लंबित आनासागर झील मामले में राजस्थान सरकार ने अहम कदम उठाया है। अजमेर के जिला मजिस्ट्रेट ने 4 अप्रैल को हलफनामा दायर कर शहर में 2 नए वेटलैंड विकसित करने का प्रस्ताव दिया था। यह कदम कोर्ट के 17 मार्च 2025 के आदेश की अनुपालना में उठाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य बनाम अशोक मलिक व अन्य में सुनवाई के दौरान मुख्य सचिव को वर्चुअल उपस्थिति देने के निर्देश दिए थे। सॉलिसिटर जनरल व अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा के आश्वासन पर सेवन वंडर्स पार्क व फूड कोर्ट को हटाने की अनुमति दे दी गई। कोर्ट ने कहा कि अन्य संरचनाओं को बनाए रखने के लिए समतुल्य वेटलैंड का ठोस प्रस्ताव लाना होगा। अब इस मामले में अगली सुनवाई 7 अप्रैल को होगी। कोर्ट वेटलैंड योजना की समीक्षा कर शेष संरचनाओं की स्थिति का मूल्यांकन करेगी। यह निर्णय पर्यावरण नियमों व एनजीटी के पिछले आदेशों के आधार पर होगा।
कलेक्टर ने हलफनामा दायर किया
पिछली सुनवाई में मुख्य सचिव का हलफनामा स्वीकार कर लिया गया था। इसमें 6 माह में पार्क व फूड कोर्ट हटाने की प्रतिबद्धता जताई गई थी। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यदि राज्य अन्य संरचनाएं रखना चाहता है तो अजमेर में पारिस्थितिकी संतुलन के लिए वेटलैंड विकसित करना जरूरी है। इसके बाद 4 अप्रैल को जिला कलक्टर लोक बंधु ने हलफनामा दाखिल किया। दो वेटलैंड की योजना के तहत पहला हाथीखेड़ा में फॉय सागर (वरुण सागर) को 2 से 10 हेक्टेयर तक विस्तारित करना तथा दूसरा तबीजी क्षेत्र की दो झीलों को 6 से 19 हेक्टेयर तक विकसित करना। इस योजना से पर्यावरण संतुलन मजबूत होगा।
समयबद्ध तरीके से पूरा करने का वादा
हलफनामे में कहा गया कि राज्य वेटलैंड प्राधिकरण नीरी के सहयोग से एकीकृत प्रबंधन योजना तैयार करेगा। वैज्ञानिक अध्ययन मिलते ही काम शुरू हो जाएगा। सेवन वंडर्स पार्क व फूड कोर्ट को हटाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। सरकार ने इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करने का वादा किया है।
हलफनामे में इन बिंदुओं पर स्पष्ट किया रुख
हलफनामे में अन्य संरचनाओं पर स्थिति स्पष्ट की गई। गांधी स्मृति उद्यान झील से 1.5 किमी दूर चट्टानी क्षेत्र में है, इसे मास्टर प्लान-2023 में स्मारक माना गया है। एनजीटी ने इसे वेटलैंड नहीं माना। पटेल स्टेडियम (आजाद पार्क) 0.8 किमी दूर है और मास्टर प्लान 2033 में यह अर्ध-मनोरंजन क्षेत्र है। इसे पोलो ग्राउंड के रूप में दर्ज किया गया है। आनासागर झील के चारों ओर 8.8 किमी रास्ते हैं। इसमें से 2.2 किमी 2015 से पहले और 6.6 किमी बाद में बने हैं। हलफनामे में इसकी स्थिति भी कोर्ट के सामने रखी गई। सरकार ने कहा कि यह निर्माण योजना के अनुसार हुआ है और इससे पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं हुआ है। हलफनामे में राज्य ने कोर्ट के आदेशों का सम्मान करने की बात दोहराई। अगर कहीं कोई लापरवाही की बात सामने आई है तो राज्य ने बिना शर्त माफी भी मांगी है।