अंग्रेजों के जमाने की 133 साल पुरानी 'फॉय सागर' झील का बदल गया नाम, अब इस नाम से जानी जाएगी झील
अजमेर न्यूज़ डेस्क- शहर को एक और ऐतिहासिक सौगात मिली है। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर अजमेर की प्रसिद्ध फॉय सागर झील का नाम बदलकर अब 'वरुण सागर झील' कर दिया गया है। अजमेर नगर निगम ने इस संबंध में आधिकारिक आदेश जारी कर दिए हैं। गौरतलब है कि इस झील का करीब 133 साल का समृद्ध इतिहास है और पर्यटन व धार्मिक दृष्टि से भी इसका विशेष महत्व है। यहां विभिन्न समुदायों द्वारा पूजा-अर्चना की जाती है, वहीं सिंधी समुदाय भी अपना प्रसिद्ध चालिहो उत्सव यहीं मनाता है।
गुलामी के प्रतीकों को हटाने की पहल
बता दें कि इस झील का निर्माण आजादी से पहले अकाल राहत परियोजना के तहत किया गया था। इसका नाम इसे बनाने वाले इंजीनियर फॉय के नाम पर रखा गया था। अब देश में आजादी के 75 साल पूरे होने के मौके पर गुलामी के प्रतीकों को हटाने और राष्ट्रीय स्वाभिमान जगाने की अपील का असर अब अजमेर में भी साफ तौर पर दिखाई देने लगा है। पिछले 48 घंटे के भीतर शहर में ब्रिटिश शासन के दौरान नामित दो ऐतिहासिक स्थलों के नाम बदल दिए गए हैं। अजमेर की 133 साल पुरानी फॉय सागर झील अब 'वरुण सागर झील' के नाम से जानी जाएगी। विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने इस बदलाव की दिशा में विशेष प्रयास किए, जिसके परिणामस्वरूप नगर निगम ने औपचारिक आदेश जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही 113 साल पुराने 'किंग एडवर्ड मेमोरियल' का नाम बदलकर अब 'माहेश्वरी दयानंद सरस्वती विश्रांति' कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की प्रतिक्रिया
इस विषय पर विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि भारत आजादी के 76 साल बाद भी गुलामी के प्रतीकों को ढो रहा है। इसके कारण युवा पीढ़ी को अपनी प्राचीन भारतीय संस्कृति, सभ्यता, आध्यात्म और ऐतिहासिक विरासत के बारे में समुचित जानकारी नहीं मिल पा रही थी। उन्होंने विश्वास जताया कि यह बदलाव भारत को अपनी सनातनी संस्कृति के माध्यम से विश्वगुरु बनने की राह पर ले जाएगा और देश आत्मनिर्भर और स्वाभिमानी बनेगा।
अजमेर में एलिवेटेड रोड का नाम भी बदलकर 'राम सेतु' रखा जाएगा!
इससे पहले विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर राजस्थान पर्यटन विकास निगम द्वारा संचालित होटल खादिम का नाम बदलकर 'होटल अजय मेरु' कर दिया गया है। यह प्रक्रिया जारी है और इसका लक्ष्य अजमेर से गुलामी के सभी प्रतीकों को हटाकर उसे भारतीय संस्कृति के अनुरूप नया रूप देना है। इसके अलावा अजमेर के एलिवेटेड रोड का नाम बदलकर 'राम सेतु' करने का प्रस्ताव है। शहरवासियों ने इन बदलावों का स्वागत किया है और इसे भारतीय सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।
