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Ajmer श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन, नंदोत्सव में सजी छप्पन भोग की झांकी

 
Ajmer श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन, नंदोत्सव में सजी छप्पन भोग की झांकी

अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर पुष्कर के माहेश्वरी सेवा सदन में चल रही श्रीमद् भागवत कथा आयोजन मे व्यास पीठ से कथामृत बरसाते हुए संत अवधेश दास महाराज ने कहा कि लोगों के पास पैसा तो बढ़ रहा है, लेकिन संस्कार खत्म होते जा रहे हैं। पैसों से कार तो खरीदी जा सकती है, लेकिन संस्कार नहीं खरीदे जा सकते। संस्कार के अभाव में हमारी भाषा, खान-पान, आचार-विचार व हमारा पहनावा भी बदल गया। फैशन के नाम पर अंग ढक़ने के स्थान पर अंग प्रदर्शन करने वाले, यहां तक कि फटे वस्त्र तक पहनने में शान समझी जा रही है। प्रात: उठकर माता-पिता, गुरू को प्रणाम करना हमारी संस्कृति रही है, लेकिन आधुनिक पीढ़ी वह भी भूल चुकी है। मर्यादा तार-तार हो रही है, रिश्तों की पवित्रता समाप्त हो रही है। आरती-पुष्पांजलि के साथ कथा सत्र का समापन हुआ।

माखन-मिश्री का प्रसाद वितरित किया गया। कथा के दौरान नंदोत्सव के प्रसंग पर छप्पन भोग की सजाई गई झांकी ने सभी को भाव-विभोर कर दिया। हाथी-घोड़ा पालकी-जय कन्हैयालाल की जयघोष व बाबा नंद के दरबार आज बधाइयां गाते हुए व नाचते हुए महिलाओं ने सभी को लल्ला के जन्म की बधाईयां देते हुए खिलौने बांटे। कथा के मध्य कीर्तन के स्वर बिखेरते हुए महराज ने सभी को भक्ति रस से सराबोर कर दिया। कथा के प्रारंभ में आयोजक शिव प्रसाद लड्ढा, नंदकिशोर, श्रीकिशन व राजेंद्र कुमार लड्ढा ने व्यास पीठ का पूजन करते हुए महाराज का अभिनंदन किया। इस दौरान अनिल लड्ढा, बिरदीचंद राठी, घीसालाल बल्दुआ, गुलाबचंद दुधानी, रामप्रकाश भूतड़ा, महावीर प्रसाद गुप्ता, विजय कुमार लड्डा आदि मौजूद रहे।

नवधा भक्ति में रखें त्याग का भाव’

अजमेर नवधा भक्ति वही व्यक्ति कर सकता है जो त्याग की भावना रखता है। यह बात आचार्च विवेक सागर ने मंगलवार को पंचायत छोटा धड़ा नसियां में धर्मसभा में कही। उन्होंने कहा कि आत्मा में दान करने का भाव रखने से मन को सुकून व जीवन में सुख मिलता है। इसके लिए हृदय विशाल होना चाहिए। जीवन में अनादि काल से त्याग मैदान की परंपरा है। पदम चन्द सोगानी ने बताया कि भक्तामर स्तोत्र के तहत मंगल कलश स्थापना, संगीतमय भक्तामर पाठ, जिनेन्द्र प्रभु के समक्ष 48 दीप प्रज्ज्वलित कर महाआरती की गई।