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RPSC असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में चौंकाने वाला परिणाम, दो विषयों में एक भी अभ्यर्थी नहीं हुआ पास

 
RPSC असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती में चौंकाने वाला परिणाम, दो विषयों में एक भी अभ्यर्थी नहीं हुआ पास

राजस्थान लोक सेवा आयोग (RPSC) की ओर से संस्कृत शिक्षा विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के 200 पदों पर निकाली गई भर्ती में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। भर्ती परीक्षा के परिणाम में यह खुलासा हुआ है कि दो विषयों—सामान्य दर्शन और ऋग्वेद—में एक भी अभ्यर्थी न्यूनतम पासिंग मार्क्स हासिल नहीं कर पाया। इस स्थिति ने न केवल अभ्यर्थियों बल्कि शिक्षा जगत को भी हैरानी में डाल दिया है।

RPSC द्वारा आयोजित इस भर्ती परीक्षा के तहत संस्कृत शिक्षा विभाग के विभिन्न विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद भरे जाने थे। बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों ने परीक्षा में हिस्सा लिया, लेकिन सामान्य दर्शन और ऋग्वेद जैसे पारंपरिक और महत्वपूर्ण विषयों में किसी भी उम्मीदवार का न्यूनतम निर्धारित अंक तक नहीं पहुंच पाना गंभीर सवाल खड़े करता है। आयोग ने इन विषयों के लिए न्यूनतम पासिंग मार्क्स पहले से तय कर रखे थे, लेकिन सभी अभ्यर्थी उससे नीचे ही रह गए।

शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि प्रश्नपत्र का स्तर अत्यधिक कठिन हो सकता है, जबकि कुछ का मानना है कि इन विषयों में योग्य और प्रशिक्षित अभ्यर्थियों की संख्या लगातार घट रही है। संस्कृत और दर्शन जैसे विषयों में उच्च स्तरीय अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों की कमी भी इस स्थिति का एक बड़ा कारण मानी जा रही है।

वहीं, अभ्यर्थियों का कहना है कि परीक्षा का पैटर्न और पाठ्यक्रम विश्वविद्यालय स्तर की पढ़ाई से काफी अलग था, जिससे तैयारी करने में कठिनाई हुई। कई उम्मीदवारों ने यह भी आरोप लगाया कि सिलेबस स्पष्ट नहीं होने के कारण सही दिशा में तैयारी नहीं हो सकी। हालांकि, आयोग की ओर से इस संबंध में अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

इस परिणाम का सीधा असर संस्कृत शिक्षा विभाग में शिक्षकों की नियुक्ति पर पड़ सकता है। सामान्य दर्शन और ऋग्वेद जैसे विषयों में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद रिक्त रह जाने की संभावना बढ़ गई है, जिससे इन विषयों की पढ़ाई और शोध कार्य प्रभावित हो सकते हैं। लंबे समय से पहले ही इन विषयों में शिक्षकों की कमी की बात कही जा रही है।

अब यह देखना अहम होगा कि RPSC और शिक्षा विभाग इस स्थिति से कैसे निपटते हैं। विशेषज्ञों का सुझाव है कि या तो इन विषयों के लिए दोबारा परीक्षा आयोजित की जाए या फिर पाठ्यक्रम और परीक्षा स्तर की समीक्षा की जाए, ताकि भविष्य में योग्य अभ्यर्थियों का चयन संभव हो सके।