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Ajmer जिले में बढ़ सकता है धार्मिक और एडवेंचर पर्यटन

 
Ajmer जिले में बढ़ सकता है धार्मिक और एडवेंचर पर्यटन
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर  जिले में देसी और विदेशी पर्यटकों का ज्यादा ठहराव नहीं होता है। टॉडगढ़-रावली, किले, हवेलियों, अरावली की खूबसूरती, आनासागर-फॉयसागर झील, किला-संग्रहालय होने के बावजूद पर्यटन गतिविधियां सीमित हैं। महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी के पूर्व पर्यावरण विभागाध्यक्ष प्रो. प्रवीण माथुर की मानें तो अजमेर में ख्वाजा साहब की दरगाह-तारागढ़, आनासागर बारादरी, नारेली, सोनीजी की नसियां देखने देसी पर्यटक ज्यादा आते हैं। यहां पर्वतारोहण, पैरा ग्लाइडिंग, शो जम्पिंग जैसी गतिविधियां बढ़ाईं तो पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी। फ्रांस, जर्मनी, इटली, इजरायल, स्पेन, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया सहित कई देशों के पर्यटक आ सकते हैं।

टॉडगढ़-रावली सेंचुरी

ब्यावर के निकट टॉडगढ़ रावली सेंचुरी को पर्यटक हब बनाया जा सकता है। यहां चीते और तेंदुओं के अलावा अन्य वन्य जीव छोड़ने और सफारी शुरू करने की संभावनाएं हैं। वन क्षेत्र में रिसोर्ट और गेस्ट हाउस बनाया जा सकता है। आनासागर झील और अरावली के पहाड़ अजमेर की शान हैं। महाराणा प्रताप स्मारक, गौरव पथ और रीजनल कॉलेज चौपाटी पर सनराइज-सनसेट सेल्फी पॉइंट को बेहतर बनाया जा सकता है। यहां देसी पर्यटकों को आकर्षित किया जा सकता है।

टूरिस्ट सर्किट बने

बघेरा, पुष्कर, केकड़ी-सरवाड़, किशनगढ़, छोटा-उदयपुर, सुरसुरा, तारागढ़, मांगलियावास कल्पवृक्ष और अन्य धार्मिक स्थानों का टूरिस्ट सर्किट बनाने से पर्यटन बढ़ेगा। इनमें लोक कलाकारों को भजन-गीत के लिए स्थान मुहैया कराना चाहिए।

बर्ड पार्क में बढ़े गतिविधियां

सागर विहार कॉलोनी-वैशाली नगर में  खूबसूरत बर्ड पार्क बनाया गया है। इसमें आनासागर झील में रहने वाले स्पॉट बिल डक, आईबिस, कॉमन मैना, परपल ग्रे हेरॉन, इग्रेट (व्हाइट ग्रे), मूरहेन, मैलार्ड, कॉमन टील, रफ, किंगफिशर सहित अन्य पक्षियों की प्रजातियों को देखा जा सकता है। यहां केवलादेव सेंचुरी की तर्ज पर टूरिस्ट हब बन सकता है।