Ajmer में भगवान शांतिनाथ की उत्तर भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा, 20 अप्रैल से पंच कल्याणक
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर 11 साल पहले जो जमीन बंजर पड़ी थी, वह आज जैन तीर्थ है। यहां जैन समाज के 16वें तीर्थकर शांतिनाथ भगवान की उत्तर भारत की सबसे ऊंची प्रतिमा है। जिसे करीब 400 टन पत्थर को तराश कर बनाया गया। इस प्रतिमा का वजन करीब 250 टन है।अजमेर के नाकामदार स्थित श्री जिनशासन तीर्थ क्षेत्र की आधारशिला 2014 में रखी गई और पिछले 11 सालों से यहां निर्माण कार्य चल रहा है। इस साल निर्माण कार्य पूर्ण हो जाएगा। 20 अप्रैल से 25 अप्रैल तक पंचकल्याणक महोत्सव रखा गया है। इसके अलावा यहां पर संगमरमर की वेदिका में वर्तमान आदिनाथ से महावीर स्वामी तक 24 तीर्थकर की सवा ग्यारह फुट कमलासन पर विराजमान प्रतिमा, 24 रजतमयी (चांदी), 24 ताम्र प्रतिमा, व दिव्य समवशरण, 1008 प्रतिमा से सुशोभित सहस्त्रकूट जिनालय है।
साथ ही क्षेत्र पर सिंह द्वार, बहुमंजिला राजा श्रेयांस आहारशाला व आर्यिका वस्ति, सत शाला का निर्माण भी किया गया है। क्षेत्र वर्तमान में लाल मंदिर के नाम से विख्यात है और यहां पर तीर्थकरों की स्फटिक मणी से निर्मित प्रतिमा विराजमान है।श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैसवाल जैन धर्मार्थ प्रन्यास श्री जिन शासन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के मंत्री विनित कुमार जैन से जानी बंजर जमीन से तीर्थ क्षेत्र बनने की पूरी कहानी...
2014 में रखी थी आधारशिला
मंत्री विनित जैन ने बताया- अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित अजमेर में आचार्य वसुनंदी महाराज ससंघ का वर्ष 2014 में वर्षायोग के लिए आगमन हुआ। ससंघ की प्रेरणा से जैसवाल जैन समाज के भामाशाह डिलवारी (ककरारी) परिवार के द्वारा 1993 में लगभग 7 बीघा (14000 गज) दान में दी गई भूमि पर 29 सितम्बर 2014 को पावन क्षेत्र की आधारशिला रखी गई।इसके बाद यहां लालमंदिर का शिलान्यास 31 अक्टूबर 2014 में हुआ व मात्र 13 दिन में निर्माण कार्य पूरा कर वेदी प्रतिष्ठा 13 नवम्बर 2014 को आचार्य वसुनंदीजी महाराज के सानिध्य में हुई। तब से रोजाना सुबह यहां श्री शांतिनाथ महामंडल विधान का आयोजन श्रावक श्रेष्ठी पुण्यार्जक परिवारों की ओर से किया जा रहा है।
11 साल से चल रहा है यहां निर्माण काम
विनित जैन ने बताया-श्री शांतिनाथ दिगम्बर जैसवाल जैन धर्मार्थ प्रन्यास श्री जिन शासन तीर्थ क्षेत्र कमेटी की ओर से जनसहयोग से यह निर्माण कार्य पिछले 11 सालों से जारी है। बहुमंजिला राजा श्रेयांस आहारशाला व आर्यिका वस्ति, सत शाला का निर्माण पूर्ण हो चुका है। चौबीसी सहित अन्य निर्माण काम भी जल्द ही पूरे हो जाएंगे। अन्य निर्माण योजनाओं में एक मानस्तम्भ, बहुमंजिला सर्वसुविधा युक्त वातानूकूलित यात्री निवास व समारोह स्थल की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
बिजोलिया से लाए पत्थर, यहीं पर बनाई प्रतिमा
54 फुट उतंग खडगासन 16 वें तीर्थंकर भगवान शातिनाथ स्वामी की कमलासन पर प्रतिमा तैयार की गई है। इसके लिए 11 जुलाई 2018 को एकल 80 फुट पत्थर को बिजोलिया से लाया गया। यहां उसे खड़ा करने के बाद जिनप्रतिमा का निर्माण किया। उस समय इसका वजन 400 टन था और अब इसका वजन 250 टन है।
समुद्री पत्थर से बनाया गया मंदिर का सिंह द्वार
विनित जैन ने बताया- तीर्थ के मंदिर का सिंह द्वार भी पोरबंदर के समुद्री पत्थर से बनाया गया है। यहां बने लाल मंदिर में भगवान शातिनाथ, चन्द्रप्रभ, पार्श्वनाथ स्वामी की स्फटिक मणी से निर्मित मनभावक, मनोहारी व अतिशयकारी प्रतिमा विराजमान है। जिनका प्रतिदिन कईं श्रावक श्रेष्ठी जिनाभिषेक एवं शांतिधारा करते हैं।
20 से 25 अप्रैल तक होगा पंचकल्याणक महोत्सव
20 अप्रैल से 25 अप्रैल 2025 आचार्य वसुनंदी महाराज चतुर्विध संघ के पावन सानिध्य में श्री पंचकल्याणक महोत्सव का आयोजन होगा। इसके लिए सभी तैयारियां की जा रही है। इसमें देशभर से जैन समाज के लोग शिरकत करेंगे।
प्रभावना रथ कर रहा है भ्रमण
नाका मदार स्थित जिनशासन क्षेत्र मंदिर में होने वाले 20 से 25 अप्रैल 2025 के पंच कल्याणक के आमंत्रण के लिए प्रभावना रथ 24 नवम्बर को अजमेर पहुंचा। इसके बाद 30 नवम्बर को फिरोजाबाद उत्तरप्रदेश के लिए रवाना किया। यह रथ 7 राज्यों में 40 हजार किलोमीटर घूमेगा। रथ को इंदौर में तैयार किया गया था। इसमें जिनालय और पंच कल्याण के बारे में जानकारी है। यह रथ अलग-अलग शहरों में जाकर अजमेर में होने वाले पंच कल्याणक की प्रभावना की जानकारी देगा।
संघ ने किया कईं वस्तुओं का त्याग
विनित जैन ने बताया-आचार्य वसुनंदी के संघ में शामिल साधु, साध्वी, ब्रह्माचारी व अन्य की ओर से कईं वस्तुओं का पंचकल्याणक तक त्याग कर रखा है। किसी ने घी, तो किसी ने चावल, किसी ने दूध, दही, शक्कर तो किसी ने फलों का। ये सभी पंचकल्याणक होने के बाद इन वस्तुओं को ग्रहण कर सकेंगे।
यह भी जानना जरूरी... ये प्रतिमा सबसे ऊंची, लेकिन पहाड़ को काटकर ही बनाया गया
महाराष्ट्र राज्य के नासिक में मंगी-तुंगी नामक सिद्ध क्षेत्र में दुनिया की सबसे ऊँची जैन प्रतिमा है। यह जैन धर्म के प्रथम तीर्थंकर ऋषभनाथ भ्प्गवान की है। प्रतिमा 108 फीट ऊँची है।
श्रवणबेलगोला में स्थित गोमतेश्वर प्रतिमा, भगवान गोमेतेश्वर की एक विशाल मूर्ति है। इसे ग्रेनाइट के एक ही खंड से तराशा गया है.। इसकी ऊंचाई 57 फीट है।
यहां संगमरमर की वेदिका में 24 तीर्थकरों की प्रतिमा लगाई गई है।
