अजमेर में बिना सूचना के सेवन वंडर बंद होने से सैकड़ों पर्यटक परेशान, वायरल क्लिप में जानिए सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लगाई फटकार
स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत अजमेर में करोड़ों खर्च कर बनाए गए सेवन वंडर को आज बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दिया गया, इसके चलते यहां आने वाले सैकड़ों पयटकों को परेशानी और निराशा का सामना करना पड़ा है। माना जा रहा है कि कोर्ट की फटकार के कारण निगम ने इसे बंद किया है, हालाँकि प्रशासन की ओर से कोई अधिकृत जानकारी जारी नहीं होने के चलते लोगों में रोष देखने को मिला।
अजमेर न्यूज़ डेस्क - स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों की लागत से बनाए गए सेवन वंडर्स को बिना किसी पूर्व सूचना के बंद कर दिया गया है। ऐसे में यहां आने वाले पर्यटक परेशान हो रहे हैं। सुबह से ही ऑटो चालक सवारियां लेकर आ रहे हैं और कई लोग अपने वाहनों से भी यहां पहुंच रहे हैं। लेकिन यहां कोई नहीं मिलता और उन्हें मजबूरन वापस लौटना पड़ रहा है। बता दें कि आनासागर झील के आसपास किए गए निर्माण प्रशासन के गले की फांस बन गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। इस मामले में मुख्य सचिव से व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा गया है।
प्रशासन की ओर से नहीं दी गई कोई जानकारी
माना जा रहा है कि कोर्ट की फटकार के कारण इसे बंद किया गया है लेकिन प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। इस बारे में बात करने के लिए कलेक्टर लोकबंधु, एडीए कमिश्नर नित्या के. से संपर्क किया गया लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुई। पेरिस का एफिल टावर, मिस्र के पिरामिड, पीसा की झुकी हुई मीनार, रोम का कोलोसियम, स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी, क्राइस्ट द रिडीमर की मूर्ति, आगरा का ताजमहल यहां बनाए गए हैं।
फर्श की खुदाई शुरू, हरियाली विकसित करेंगे
हरियाली दिखाने के लिए नगर निगम फूड कोर्ट के सीमेंटेड फर्श की खुदाई कर रहा है। यह कार्रवाई नगर निगम अधिकारियों की मौजूदगी में जेसीबी की मदद से की जा रही है।
सीलिंग की कार्रवाई काम नहीं आई
अनासागर में वेटलैंड के किनारे चल रही व्यावसायिक गतिविधियों को रोकने के लिए प्रशासन ने पिछले साल अक्टूबर में 35 निर्माणों को सीज किया था, ताकि सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पक्ष रखा जा सके और अनुपालन दिखाया जा सके। यह कार्रवाई काम नहीं आई। सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद अब अधिकारी बचने के रास्ते तलाश रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार, 17 मार्च को वीसी
सुप्रीम कोर्ट की खंडपीठ ने राजस्थान के मुख्य सचिव को अना सागर झील के आसपास अवैध निर्माणों पर अपने आदेशों के अनुपालन के संबंध में व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां ने पिछले निर्देशों की जानकारी मांगते हुए कहा कि राज्य द्वारा 1 जनवरी 2024 को दिया गया हलफनामा उसके आदेशों के अनुरूप नहीं है।
राज्य सरकार से पूछा कि 2021 से एनजीटी के कई आदेशों और 1 दिसंबर 2023 के शीर्ष अदालत के आदेश के बावजूद वह कार्रवाई करने में विफल क्यों रही। अब मुख्य सचिव को विशिष्ट कदमों का विवरण देते हुए व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करना होगा। सीएस को 17 मार्च को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट में पेश होना होगा। इस दौरान सुधारात्मक उपायों के लिए राज्य की योजना और समय सीमा बताई जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के आदेश पर रोक नहीं लगाई है, लेकिन अपीलकर्ताओं के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई भी नहीं की है।
सरकार के जवाब से सुप्रीम कोर्ट शुरू से ही संतुष्ट नहीं था। सुप्रीम कोर्ट ने स्मार्ट सिटी के एसीईओ और नगर निगम आयुक्त की ओर से पेश हलफनामे पर भी नाराजगी जताई और उसे स्वीकार नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी कार्यशैली से ऐसा नहीं लगता कि आप अजमेर को स्मार्ट बनाना चाहते हैं। हमें आश्चर्य है कि शहर में जल निकायों, वेटलैंड को संरक्षित किए बिना कोई शहर कैसे स्मार्ट बन सकता है और जल निकायों, वेटलैंड पर अतिक्रमण करके शहर कैसे स्मार्ट बन सकते हैं।
8 अधिकारियों की कमेटी बनाई गई
सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी को देखते हुए कलेक्टर ने 8 अधिकारियों की टीम बनाई है। इसमें एडीए के भूमि अवाप्ति अधिकारी खेमराम यादव, एसडीओ पद्मा देवी, नगर निगम के मुख्य अभियंता नरेंद्र अजमेरा, एडीए के निदेशक इंजीनियरिंग ओपी. वर्मा, निदेशक विधि नीता मिश्रा, निदेशक परियोजना महेंद्र चौधरी, जल संसाधन विभाग एसई केएम. जायसवाल, नगर निगम एक्सईएन रमेश चौधरी शामिल हैं।
वेटलैंड में नहीं है निर्माण: एएजी
सुप्रीम कोर्ट में राजस्थान सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि ये निर्माण अजमेर स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट का हिस्सा हैं और अजमेर मास्टर प्लान के अनुरूप हैं। हम इस बात पर कायम हैं कि सेवन वंडर्स और अन्य संरचनाएं वेटलैंड क्षेत्र से बाहर थीं और झील के पारिस्थितिक संतुलन को प्रभावित नहीं करती थीं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि "राजस्थान सरकार जनवरी 2024 के हलफनामे में अनुपालन उपायों को पर्याप्त रूप से संबोधित करने में विफल रही। अनुपालन में देरी से सुप्रीम कोर्ट नाराज है।
एनजीटी को तुरंत निर्माण हटाना चाहिए
अगस्त 2023 में एनजीटी की भोपाल बेंच ने झील के चारों ओर बने सेवन वंडर्स पार्क, पटेल स्टेडियम, गांधी स्मृति उद्यान और फूड कोर्ट को ध्वस्त करने का आदेश दिया था। राज्य सरकार ने आदेशों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। एनजीटी ने चिंता व्यक्त की थी कि लगातार विकास के कारण झील के पारिस्थितिक संतुलन को नुकसान पहुंच रहा है। स्मार्ट सिटी के अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में तस्वीरें पेश कीं और निर्माण को सुंदर बताया। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निर्माण सुंदर हो सकता है लेकिन अगर नियमों का उल्लंघन किया गया है तो इसे ध्वस्त करना होगा।
