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Ajmer रामसा पीर के लगाए जयकारे, मंदिरों पर ध्वज-पताकाएं चढ़ाईं

 
Ajmer रामसा पीर के लगाए जयकारे, मंदिरों पर ध्वज-पताकाएं चढ़ाईं
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर   भादों की दूज पर रविवार को लोकदेवता बाबा रामदेव के जयकारों से शहर सहित आसपास के इलाके गूंज उठे। दिनभर बरसात के बीच हांसियावास खुंडियावास सहित विभिन्न इलाकों में वाहनों के अलावा पैदल नाचते-गाते और दंडवत प्रणाम करते जातरु बाबा रामदेव के मंदिरों में पहुंचे। खीर-नारयिल का प्रसाद चढ़ाकर मन्नतें मांगी। कई जगह मेले भरे, जिनमें देर रात तक रौनक बनी रही। नागौर-अजमेर की सीमा पर स्थित रुणीचा धाम बाबा रामदेव मंदिर का वार्षिक मेला भरा। मेले के लिए सुबह से ही जातरु ध्वज लेकर नाचते-गाते, धोक लगाते पहुंचना शुरू हो गए। राज्य के दूसरे सबसे बड़े मेले में अजमेर,भीलवाड़ा, नागौर, सीकर, झुंझुनूं, कोटा, शाहपुरा, डीडवाना-कुचामन के अलावा हरियाणा, दिल्ली, यूपी सहित अन्य स्थानों से हजारों जातरू पहुंचे। रूणीचे वाले रामसा पीर के जयकारे लगाए।

श्रद्धालुओं की लगी कतारें

मंदिर में दर्शन के लिए लम्बी कतारें लगी रहीं। जातरुओं ने ध्वज-पताकाएं, नारियल, खीर, चूरमा और अन्य प्रसाद चढ़ाकर मनोकामना मांगी। भोजराज महाराज की धूनी की परिक्रमा की। जातरुओं की सेवा के लिए कई स्वयंसेवी, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी मौजूद रहे। अजमेर, गेगल , नागौर, पीलवा थाने के पुलिसकर्मियों ने व्यवस्था संभाली।

ध्वज-पताकाएं चढ़ाईं

इसी तरह धोलाभाटा स्थित प्राचीन बाबा रामदेव मंदिर में जातरुओं ने सुबह से ही ध्वज-पताकाएं चढ़ाना शुरू कर दिया। इस दौरान श्रद्धालुओं ने भजन प्रस्तुत किए। मेघवंश समाज विकास समिति के तत्वावधान में भोपों का बाड़ा, फॉयसागर पाल स्थित बाबा रामदेव मंदिर में भी जातरुओं ने रामसा पीर के जयकारों संग ध्वज चढ़ाए। रामदेव महाराज मंदिर विकास समिति रातीडांग के तत्वावधान में विधि-विधान से मूर्ति स्थापना की गई। मंदिरों को आकर्षक फूलों से सजाया गया। पुरानी बस्ती मिस्त्री मोहल्ला में भी मंदिर में ध्वज चढ़ाया गया।

भरे बाबा के मेले

शहर और आस-पास के इलाकों में बाबा रामदेव के मेलों का आयोजन किया गया। भोपों का बाड़ा, फॉयसागर पाल, नौसर स्थित बाबा रामदेव मंदिर, रातीडांग, धोलाभाटा सहित अन्य स्थानों पर मेलों की धूम रही। मेलों में झूला, चकरी, चाट, पकौड़ी का लुत्फ उठाया। कपड़ों, खिलौने, इलेक्ट्रॉनिक सामग्री की दुकानें लगाई गई। आम भंडारे और प्रसादी का आयोजन किया गया।