पुलिस के पहरे में घोड़ी पर निकला दलित दूल्हा, वीडियो में देखें बड़ी खबरें
अजमेर न्यूज़ डेस्क , अजमेर जिले के श्रीनगर थाना इलाके के लवेरा गांव में मंगलवार को दलित दूल्हे की बारात पुलिस पहरे में निकाली गई।बीस साल पहले हुए विवाद को लेकर पीड़ित ने पुलिस जाब्ते की मांग की। बारात में 20 महिला कॉन्स्टेबल सहित 75 पुलिस जवान तैनात रहे। इस दौरान ड्रोन से निगरानी की गई। बारात को डीजे की स्वीकृति भी नहीं थी।
लवेरा गांव निवासी नारायण रैगर 20 साल पहले बहन सुनीता के विवाह में हुए विवाद को भूला नहीं पाए। इसी कारण उन्होंने अपनी बेटी की शादी के लिए पुलिस ने सुरक्षा मांगी। 21 जनवरी को नारायण की बेटी की बारात में बारातियों से ज्यादा पुलिस वाले शामिल हुए। एडिशनल एसपी डॉ. दीपक कुमार सहित 75 जवानों की मौजूदगी में दलित युवक की बारात घोड़े पर नारायण रैगर के घर पहुंची।
20 साल पहले हुआ था विवाद
दरअसल, 9 जुलाई 2005 में नारायण लाल रैगर की बहन सुनिता की शादी में लवेरा गांव में एक प्रभावशाली वर्ग के लोगों ने दलित दूल्हे की बारात घोड़े पर निकालने पर आपत्ति जताई थी। इस मसले पर विवाद गहरा गया था। उस समय भी एहतियात के तौर पर पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए थे। अतिरिक्त पुलिस जाप्ता भी तैनात किया गया था, इसके बावजूद विशेष वर्ग के दबाव में घोड़ी वाला बारात में से घोड़ी लेकर गायब हो गया था।
पुलिस जीप में निकाली थी दूल्हे की बारात
हालांकि उस समय दलित दूल्हे की बारात पुलिस जीप में निकाली गई थी, लेकिन पुलिस दल की मौजूदगी के बावजूद दलित युवक घोड़े पर नहीं बैठ पाया था। यही कारण रहा कि मंगलवार को नारायण रैगर की बेटी की शादी में भी पहले की घटना दोहराए जाने की आशंका थी।
इसके चलते मानव विकास एवं अधिकार केन्द्र संस्थान के रमेश चंद्र बंसल ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम को शिकायत पत्र देकर दलित वर्ग के मानवाधिकारों की रक्षा की गुहार लगाई थी।
बारातियों से ज्यादा पुलिस के जवान नजर आए
एसपी वंदिता राणा ने एहतियात के तौर पर विभिन्न थानों के 75 पुलिस अफसर और जवानों को तैनात किया था। लवेरा गांव में जगह-जगह पुलिसकर्मी नजर आ रहे थे। बारात में बारातियों से ज्यादा पुलिसकर्मी शामिल थे। पुलिस पहरे में दलित युवक की बारात घोड़े पर ढोल-नगाड़ों के साथ नारायण रेगर के घर पहुंची थी।
ड्रोन से की गई निगरानी
लवेरा गांव में 20 साल पहले नारायण की बहन सुनीता की शादी खरवा निवासी दिनेश के साथ हुई थी। दिनेश की बारात गांव में निकाली जा रही थी तब गांव के ही कुछ लोगों ने दिनेश को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया था। दिनेश ने पुलिस जीप में बैठकर तोरण मारा था। उस समय भी वर वधु पक्ष ने जिला प्रशासन को सूचना दी थी। जिला प्रशासन और पुलिस तनावपूर्ण माहौल के कारण दिनेश को घोड़ी पर नहीं बैठा सके थे।
दिनेश और सुनीता मंगलवार को अरुणा की बारात घोड़ी पर देख कर खुश थे। लवेरा गांव में विजय की बारात में मंगलवार को पुलिस प्रशासन ने फूंक-फूंक कर कदम रखा। कई जगह बेरीकेडिंग लगाई गई। ड्रोन से निगरानी की गई। 75 पुलिसकर्मियों में 20 महिला कॉन्स्टेबल भी तैनात थीं।
75 हथियारबंद सिपाही रहे मौजूद
बारात के साथ-साथ एडिशनल एसपी ग्रामीण दीपक कुमार शर्मा, नसीराबाद सीओ जनरैल सिंह, सहित 75 हथियार बंद सिपाही मौजूद थे। एडिशनल एसपी दीपक कुमार शर्मा ने कहा कि शिकायत मिलने के बाद पुलिस प्रशासन ने ग्रामीण और वर वधु पक्ष के लोगों से बात की थी। यह तय हुआ था कि चारभुजा भगवान और देवनारायण भगवान के मंदिर के रूट पर बारात नहीं निकाली जाए और ढोल नहीं बजाए जाएंगे, जिस पर दोनों पक्षों ने सहमति जताई थी। एहतियात के दौरान सुरक्षा के प्रबंध किए गए थे।
बारात में डीजे की अनुमति नहीं थी
मंगलवार को अजमेर के श्रीनगर निवासी विजय रैगर की बारात घोड़ी पर बैठकर निकाली गई। दलित परिवार के लोगों ने नाचते-गाते हुए बारात निकाली और विजय का विवाह लवेरा निवासी नारायण खोरवाल की बेटी अरुणा से हुआ। बारात मंगलवार दोपहर 2:30 बजे लवेरा गांव के राजकीय आयुर्वेद औषधालय पहुंची। डीजे की स्वीकृति नहीं थी। पांच ढोल वालों के साथ बारात गांव के अलग-अलग मार्ग से होते हुए वधु के घर पहुंची।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग तक की गई थी शिकायत
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को शिकायत देकर गांव के इस संवेदनशील मामले की जानकारी दी गई थी। इस मामले को लेकर नसीराबाद एडीएम व पुलिस अधिकारियों ने बैठक कर समझाइश की थी। साथ ही स्पष्ट किया गया था कि दलित जाति के दूल्हे को घोड़ी पर बैठकर बिंदौली निकालने को लेकर विशेष समाज के लोगों द्वारा ही मार्ग, समय एवं डीजे, बैंड बाजे, पटाखों आदि की पाबंदी लगाना संविधान में प्रदत्त समानता, स्वतंत्रता के मानवाधिकारों का उल्लंघन है।