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Alwar साइबर अपराधों का खुलासा नहीं कर पा रही पुलिस, बदमाशों के आगे बेबस

 
Alwar साइबर अपराधों का खुलासा नहीं कर पा रही पुलिस, बदमाशों के आगे बेबस 
अलवर न्यूज़ डेस्क, अलवर  साइबर क्राइम पर शिकंजा कसने के लिए सभी जिलों में साइबर थाने तो खोल दिए गए हैं, लेकिन पुलिस के ये थाने साइबर क्राइम पर अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं और न ही साइबर अपराधों का खुलासा। साइबर फ्रॉड के कुछ मामलों में ठगों के खातों में पैसा रिफंड कराने में तो कामयाब रहे, लेकिन ठगों की गिरफ्तारी में फिसड्डी बने हुए हैं। राज्य सरकार ने 1 जनवरी 2023 से प्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों पर एक-एक साइबर थाना खोल दिया था। अलवर में खोले गए साइबर थाने में अब तक साइबर फ्रॉड के 24 प्रकरण दर्ज हुए हैं। इनमें से 14 मामले अभी जांच में लम्बित हैं। वहीं, 4 मामलों में पुलिस ने चालान पेश किया है तथा 6 प्रकरणों में एफआर दी गई है। वहीं, अलवर में मार्च-2023 से खोली गई साइबर रेस्पोंस सेल में अब तक साइबर ठगी की करीब 400 शिकायत प्राप्त हो चुकी हैं। जिनमें करीब 1.70 करोड़ रुपए के साइबर फ्रॉड का पता चला है। इनमें से करीब 80 लाख रुपए की राशि पुलिस साइबर ठगों के खातों में जाने से रोक पाई है।

साइबर थानों में नहीं एक्सपर्ट

राज्य सरकार ने प्रदेश में साइबर थाने तो खोले दिए हैं, लेकिन अधिकांश साइबर थानों में साइबर एक्सपर्ट नहीं हैं। सामान्य ट्रेनिंग देकर ही पुलिसकर्मियों को साइबर थाने में लगा दिया है, जो कि साइबर क्राइम को रोकने के लिए एडवांस टेक्नोलॉजी में एक्सपर्ट नहीं है। अलवर जिले के साइबर थाने की बात करें तो यहां कुल 11 पुलिसकर्मियों को स्टाफ है। इनमें 3 उपनिरीक्षक, 2 हैडकांस्टेबल और 6 कांस्टेबल हैं। इनमें कोई भी साइबर क्राइम एक्सपर्ट नहीं है।

राजस्थान और हरियाणा का मेवात क्षेत्र साइबर ठगों का गढ़ बन चुका है। मेवात क्षेत्र में साइबर ठग बैठे हैं, जो कि साइबर ठगी का नेटवर्क चला रहे हैं। जंगल, खेत और झोपड़ियों में बैठकर लैपटॉप के माध्यम से साइबर ठगी का कॉल सेंटर चला रहे हैं। साइबर थाने में 2 लाख रुपए से ज्यादा के साइबर फ्रॉड के मामलों को दर्ज किया जाता है। इससे कम राशि के साइबर फ्रॉड के मामले सम्बिन्धत थाने में ही दर्ज किए जा रहे हैं। ऐसे में पुलिस थानों में रोजाना साइबर फ्रॉड के मामले दर्ज हो रहे हैं या फिर शिकायतें मिल रही हैं।