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Ajmer अब नहीं जमेगी सितोलिया, नहीं होगी रस्साकशी पर जोर, खिलाडी मायूस

 
Ajmer अब नहीं जमेगी सितोलिया, नहीं होगी रस्साकशी पर जोर, खिलाडी मायूस 
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर एक ओर सरकार परंपरागत खेलों को बढ़ावा देने की बात कर रही है वहीं शिक्षा विभाग की ओर से परंपरागत खेलों को विद्यालयी प्रतियोगिताओं से आउट कर दिया है। विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता में इस बार 16 परंपरागत खेल नहीं होंगे। ना सतोलिया जमेगा और ना रस्साकशी पर जोर आजमाइश होगी। प्रदेशभर में माध्यमिक शिक्षा की खेलकूद प्रतियोगिता का जो पंचांग जारी किया गया है उसमें सतोलिया, रस्साकसी, मार्शल स्कॉय, आस्थे द अखाड़ा, कूडो व कैरम सहित 16 ग्रामीण परंपरागत खेलों की प्रतियोगिता नहीं होगी। एक ओर खेलो इंडिया को बढ़ावा दिया जा रहा है। राजीव गांधी ओलम्पिक खेलों के आयोजन हो रहे हैं वहीं शिक्षा विभाग में परंपरागत खेलों को हटाने का निर्णय चौंकाने वाला है। परंपरागत खेलों के चलते बच्चों में उत्साह भी रहा है। इनमें बालक वर्ग के साथ बालिका वर्ग में भी अच्छी भागीदारी रही है। लेकिन इस बार इन खेलों को हटाने से कई पूर्व विजेता खिलाड़ियों में भी निराशा का माहौल है।

ग्रामीण खेलों में मिले जगह

विद्यालयी खेलकूद प्रतियोगिता में ग्रामीण खेलों को बढ़ावा मिलना चाहिए। परंपरागत खेलों का एक खास मकसद होता है, इससे बालक-बालिकाओं को जोड़ना जरूरी है। इन खेलों से ग्रामीण खेल प्रतिभाएं सामने आ सकती हैं। स्कूल गेम्स फेडरेशन ऑफ इंडिया को इन 16 खेलों को सूची में पुन: शामिल करना चाहिए। शिविरा पंचांग के अनुसार 24 अगस्त से विद्यालय स्तर, 6 सितंबर से जिला स्तर व 19 सितंबर से राज्य स्तरीय प्रतियोगिता शुरू होगी। शिविरा पंचांग के अनुसार बीते वर्ष शिक्षा विभाग में खेलकूद प्रतियोगिता में 48 खेलों का आयोजन हुआ। इस बार मात्र 32 खेल सूची में रखे हैं। यह प्रतियोगिताएं चार समूहों में होंगी।