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Ajmer कहीं क्षतिग्रस्त हुई दीवार, कहीं अतिक्रमण की मार

 
Ajmer कहीं क्षतिग्रस्त हुई दीवार, कहीं अतिक्रमण की मार

अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर ऐतिहासिक एवं पुरासम्पदा के रूप में अजमेर की पहचान तारागढ़ संरक्षण एवं संवर्द्धन के अभाव में जर्जर हो रहा है। वहीं इसके परकोटे में जगह-जगह ‘सुराख’ बढ़ गए हैं। परकोटे का कुछ जगह तो सफाया हो चुका है। अतिक्रमी काबिज हैं तो कहीं अतिक्रमियों की नजर इस पर जमी हुई है। पुरातत्व विभाग समय रहते कोई कदम उठाए तो इन ऐतिहासिक धरोहर एवं चिन्हों को बचा सकते हैं। अजमेर में चौहान वंश का किला गढ़ बिठली (तारागढ़) के साथ इसके परकोटे के संरक्षण के लिए संबंधित विभाग एवं प्रशासन भी सख्त कदम उठाने से कतरा रहा है।

परकोटे की करीब 8 से 10 फीट चौड़ाई की दीवारें साल-दर-साल क्षतिग्रस्त हो रही हैं। कुछ जगह तो अतिक्रमियों की ओर से भी नुकसान पहुंचाया जा रहा है। सम्पर्क सड़क से त्रिपोलिया गेट के मध्य तक परकोटे का जर्जर हिस्से का दायरा बढ़ रहा है। कुछ जगह बांस-बल्लियां लगाकर अतिक्रमण करने की तैयारी की जा रही है।

यहां भी मिट रहे नामो निशान

तारागढ़ के पास के हिस्से के साथ दूसरे छोर पर संपर्क सड़क के आस-पास का परकोटा साफ हो रहा है। कुछ जगह तो परकोटे के मध्य सुराख बड़े हो गए हैं। ऐसे में परकोटा कभी भी धराशायी हो सकता है। पहाड़ी से उतरकर परकोटे की लौंगिया मौहल्ला व देहली गेट के छोर का परकोटा भी जर्जर हो रहा है। कुछ ने तो परकोटे पर ही अतिक्रमण कर लिए हैं।