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Ajmer यों कैसे बदलेगी नेक ग्रेड, कई मामलों में पीछे है यूनिवर्सिटी

 
Ajmer यों कैसे बदलेगी नेक ग्रेड, कई मामलों में पीछे है यूनिवर्सिटी
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर  महाविद्यालयों के लिए नए कोर्स और नीतियां बनाने वाले महर्षि दयानंद सरस्वती यूनिवर्सिटी की शैक्षिक स्थिति लगातार डांवाडोल हो रही है। राष्ट्रीय प्रत्यायन एवं मूल्यांकन परिषद (नैक) की ग्रेडिंग में यूनिवर्सिटी पिछड़ी हुई है। इसके कई सम्बद्ध कॉलेज आगे निकल गए हैं। हालात सुधारे बिना अच्छी नेक ग्रेड बहुत मुश्किल है। 1987 में स्थापित यूनिवर्सिटी को 2017 में बी डबल प्लस ग्रेड मिली थी। पांच साल की ग्रेड अवधि भी खत्म हो चुकी है। यही ग्रेड इस वर्ष 2004 में भी मिली थी। साफ जाहिर है कि विश्वविद्यालय ने ग्रेडिंग सुधार के लिए ज्यादा प्रयास नहीं किए।नेक ग्रेडिंग का पैटर्न अब बदल गया है। अब गूगल फॉर्मेट पर संसाधनों की जानकारी देना जरूरी है। शिक्षकों के रिसर्च प्राजेक्ट, ई-मेल, विभाग-कोर्स में विद्यार्थियों के प्रवेश, राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में भागीदारी, खेलकूद, तकनीकी नवाचार का ब्यौरा पियर रिपोर्ट में देना जरूरी है। इसके 70 प्रतिशत अंक मिलते हैं। तीस प्रतिशत अंक टीम दौरे के वक्त देती है।

यों पीछे है यूनिवर्सिटी

कैंपस में 13 स्थायी शिक्षक कार्यरत

सात से ज्यादा विभाग में नहीं कोई शिक्षक

राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की नहीं होती गतिविधियां

दाखिलों में अखिल भारत प्रतिस्पर्धा नहीं

एनसीसी, रोवर-रेंजर की कमी

नेशनल प्रोजेक्ट में नहीं ज्यादा भागीदारी

नहीं होते प्रोजेक्ट के पेटेन्ट

कैंपस प्लेसमेंट और कॅरियर काउंसलिंग की कमी

दूसरे संस्थानों की स्थिति ठीक

सभी यूनिवर्सिटी कॉलेज को नैक की ग्रेडिंग लेना अनिवार्य किया है। सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय और राजकीय कन्या महाविद्यालय को इसी साल बी डबल प्लस ग्रेड मिली है। सोफिया कॉलेज को एक प्लस ग्रेड मिली है। एनसीईआरटी के क्षेत्रीय शिक्षा संस्थान को भी ए प्लस ग्रेड हासिल हुई है।