Ajmer इस बार पांच की बजाय छह दिन का होगा दीपोत्सव पर्व
ज्योतिषाचार्य पं. दामोदर प्रसाद शर्मा ने बताया कि दिवाली पर्व का कर्मकाल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या पर प्रदोष काल (शाम के समय) में बताया है। धर्मसिंधु ग्रंथ के अनुसार यदि अमावस्या प्रदोष काल में दो दिन रहती है तो दूसरे दिन सूर्योदय से शाम तक अमावस्या के दौरान प्रदोष काल में दीपोत्सव मनाने के साथ ही लक्ष्मी पूजन भी किया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर दोपहर 3.53 बजे से शुरू होकर एक नवम्बर की शाम 6.17 बजे तक रहेगी। ऐसे में अमावस्या की तिथि के दौरान दो दिन प्रदोष काल रहेगा।
सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक अमावस्या होने पर वह पर्व मनाया जा सकता है। एक नवम्बर को जयपुर में सूर्यास्त शाम 5.40 बजे होगा। इसके बाद करीब 37 मिनट तक अमावस्या रहेगी।
बनारस, काशी के कुछ पंचांगों के साथ ही महाराष्ट्र, केरल के कुछ हिस्सों में भी 31 अक्टूबर को दिवाली पर्व बताया है। धर्मपुण्य के दृष्टिकोण से एक नवम्बर को ही दिवाली का पर्व रहेगा।
पांच की बजाय छह दिन का होगा दीपोत्सव पर्व
29 अक्टूबर : धनतेरस का पर्व
30 अक्टूबर : रूप चतुर्दशी, यम के निमित्त दीपदान
31 अक्टूबर : छोटी दिवाली और रूप चतुर्दशी के निमित्त स्नान
एक नवम्बर : दिवाली पर्व
दो नवम्बर : अन्नकूट, गोवर्धन पूजा
तीन नवम्बर : भाईदूज का पर्व
सरकारी कैलेंडर में 31 अक्टूबर को दिवाली, दो नवम्बर को अन्नकूट और तीन को भाईदूज का पर्व बताया है।