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Ajmer बेटा-बेटी एक समान, बेटियां ही घर को रोशन करती

 
Ajmer बेटा-बेटी एक समान, बेटियां ही घर को रोशन करती
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर बेटे-बेटियों को लेकर अब परिवार एवं समाज में भी सोच बदलने लगी है। पिछले कुछ साल में कई परिवार बेटियों को अब बेटों के समान मानकर परवरिश कर रहे हैं। सरकार भी बेटी को समान एवं बढ़ावा देने के लिए योजना चला रही है। कई दपती बेटियों की बेहतर परवरिश व उच्च शिक्षा में कमी नहीं रख रहे हैं। राज्य सरकार की ओर से प्रदेश में लिंगानुपात को रोकने के मकसद से वर्ष 2007 में मुयमंत्री बालिका सबल योजना शुरू की गई जो अब सुकन्या योजना के रूप में चल रही है। इस योजना के बाद कई परिवारों की सोच बदली। लिंगानुपात कुछ हद तक रुका भी है। अजमेर जिले में अब तक 600 से अधिक बालिकाओं को इस योजना का लाभ मिल चुका है।

यह है योजना

प्रदेश का कोई दपती जिनके पुत्र नहीं है, एक या दो बालिका होने पर नसबंदी करा लेते हैं तो उन्हें बालिका सुकन्या योजना (मुयमंत्री बालिका सबल योजना) के अंतर्गत प्रत्येक बालिका के नाम 10-10 हजार रुपए की राशि यूटीआई यूचल फण्ड की सीपीसी योजना के तहत जमा करवाते हुए बॉण्ड उपलब्ध करवाए जाते हैं। 18 आयु वर्ग की उम्र तक बॉण्ड की अनुमानित राशि करीब 76, 900 रुपए के रूप में परिपक्व हो जाता है।

लाभान्वित बालिकाएं

वर्ष 2017-18 में 22, वर्ष 2018-19 में 27, वर्ष 2019-20 में 32, वर्ष 2020-21 में 14, वर्ष 2021-22 में 42, वर्ष 2022-23 में 22, वर्ष 2023-24 में 20 में बालिकाएं लाभान्वित हुई हैं। एडिशनल सीएमएचओ डॉ. रामलाल चौधरी ने बताया कि योजना के सकारात्मक परिणाम सामने आ रहे हैं।