Ajmer वर्षा के अभाव में फैसले जली, अकेले मूंग से 400 करोड़ का नुकसान
कृषि के जानकारों का कहना है कि जिले में भूमिगत जलस्तर बेहद कम है, इसलिए आज भी अधिकांश किसान मानसून की बरसात पर ही निर्भर हैं। पहले बिपरजॉय तूफान और फिर मानसून की अच्छी शुरुआत होने से किसानों ने बुवाई का दायरा बढ़ा दिया। जब फसल के लिए सिंचाई की जरूरत हुई तो अगस्त में मानसून ने धोखा दे दिया। अब आधी फसल खराब हो चुकी है। पटवारियों और राजस्वकर्मियों की हड़ताल के चलते राजस्व विभाग की गिरदावरी भी नहीं हो रही, जिससे फसल के खराबे का आकलन नहीं हो पा रहा है। यदि समय रहते गिरदावरी नहीं हुई तो किसानों को मुआवजा मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। फसल बीमा के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में किसानों को फसल के खराब होने तक बीस प्रतिशत का मुआवजा भी नहीं मिलता है। जो किसान बैंकों से लोन लेकर बुवाई करते हैं, उनकी फसलों का बीमा तो स्वत: हो जाता है, लेकिन आमतौर पर देखा गया है कि किसान निजी स्तर पर ब्याज पर पैसा लेकर बुवाई का काम करता है।
वर्षा नहीं होने पर सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे ही किसानों को होती है। हालांकि वर्षा जल के संरक्षण के लिए सरकार की पोंड बनाने की योजना पर सब्सिडी है। जिन किसानों ने अपने खेत में बिपरजॉय तूफान और मानसून की शुरुआती वर्षा में पानी का संग्रह कर लिया उन्होंने फसलों की सिंचाई भी आसानी से की है। खेत में वर्षाजल का संग्रह करने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है। केकड़ी को-ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निरुपम पांडे ने बताया रबी की फसल के खराबे के समाचारों से बाजार में मूंग और उड़द के मूल्यों में वृद्धि हो गई है। जुलाई में मूंग का भाव 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल था जो बढ़कर 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। इसी प्रकार 7 हजार रुपए वाली उड़द 9 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गई है। वर्षा के अभाव में ज्वार का दाना भी तैयार नहीं हो सकता है। अलबत्त पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो जाएगा।