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Ajmer वर्षा के अभाव में फैसले जली, अकेले मूंग से 400 करोड़ का नुकसान

 
Ajmer वर्षा के अभाव में फैसले जली,  अकेले मूंग से 400 करोड़ का नुकसान
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर अगस्त माह में मानसून की वर्षा नहीं होने से अजमेर जिले में मूंग, उड़द, ज्वार, मूंगफली, बाजरा, मक्का आदि की आधी फसल खराब हो गई है। कृषि विभाग के अनुसार इस वर्ष जिले में 4 लाख 35 हजार 201 हैक्टेयर में रबी की फसल बुवाई हुई। अपेक्षित बरसात नहीं होने से 2 लाख 53 हजार 847 हैक्टेयर भूमि की फसल प्रभावित हो गई। जिले में नसीराबाद, किशनगढ़, पीसांगन, पुष्कर, रूपनगढ़, टॉडगढ़, ब्यावर, मसूदा, बिजयनगर, भिनाय, केकड़ी, सावर, सरवाड़, टाटोटी, अरांई आदि ग्रामीण क्षेत्रों में रबी की फसल होती है। चूंकि मूंग, उड़द आदि की फसलों में मुनाफा ज्यादा होता है, इसलिए किसान भी इनकी बुवाई ज्यादा करते हैं। जिले में एक लाख 8 हजार 798 हैक्टेयर में इस बार मूंग की फसल बोई गई। इसमें से 69 हजार 561 हैक्टेयर भूमि की फसल खराब हो गई। एक अनुमान के अनुसार जिले में चार सौ करोड़ रुपए की मूंग की फसल खराब हुई।

कृषि के जानकारों का कहना है कि जिले में भूमिगत जलस्तर बेहद कम है, इसलिए आज भी अधिकांश किसान मानसून की बरसात पर ही निर्भर हैं। पहले बिपरजॉय तूफान और फिर मानसून की अच्छी शुरुआत होने से किसानों ने बुवाई का दायरा बढ़ा दिया। जब फसल के लिए सिंचाई की जरूरत हुई तो अगस्त में मानसून ने धोखा दे दिया। अब आधी फसल खराब हो चुकी है। पटवारियों और राजस्वकर्मियों की हड़ताल के चलते राजस्व विभाग की गिरदावरी भी नहीं हो रही, जिससे फसल के खराबे का आकलन नहीं हो पा रहा है। यदि समय रहते गिरदावरी नहीं हुई तो किसानों को मुआवजा मिलना भी मुश्किल हो जाएगा। फसल बीमा के दावे तो बहुत किए जाते हैं, लेकिन हकीकत में किसानों को फसल के खराब होने तक बीस प्रतिशत का मुआवजा भी नहीं मिलता है। जो किसान बैंकों से लोन लेकर बुवाई करते हैं, उनकी फसलों का बीमा तो स्वत: हो जाता है, लेकिन आमतौर पर देखा गया है कि किसान निजी स्तर पर ब्याज पर पैसा लेकर बुवाई का काम करता है।

वर्षा नहीं होने पर सबसे ज्यादा परेशानी ऐसे ही किसानों को होती है। हालांकि वर्षा जल के संरक्षण के लिए सरकार की पोंड बनाने की योजना पर सब्सिडी है। जिन किसानों ने अपने खेत में बिपरजॉय तूफान और मानसून की शुरुआती वर्षा में पानी का संग्रह कर लिया उन्होंने फसलों की सिंचाई भी आसानी से की है। खेत में वर्षाजल का संग्रह करने वाले किसानों की संख्या बहुत कम है। केकड़ी को-ऑपरेटिव मार्केटिंग सोसायटी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निरुपम पांडे ने बताया रबी की फसल के खराबे के समाचारों से बाजार में मूंग और उड़द के मूल्यों में वृद्धि हो गई है। जुलाई में मूंग का भाव 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल था जो बढ़कर 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल हो गया है। इसी प्रकार 7 हजार रुपए वाली उड़द 9 हजार रुपए प्रति क्विंटल पहुंच गई है। वर्षा के अभाव में ज्वार का दाना भी तैयार नहीं हो सकता है। अलबत्त पशुओं को हरा चारा उपलब्ध हो जाएगा।