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Ajmer पानी शुद्ध होने पर ही जलकुंभी से मुक्त हो सकेगी झील, लोगों को उम्मीद

 
Ajmer पानी शुद्ध होने पर ही जलकुंभी से मुक्त हो सकेगी झील, लोगों को उम्मीद 
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर  बीचों-बीच बनी आनासागर झील इन दिनों अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही है। चूंकि यह झील अजमेर के प्राकृतिक सौंदर्य में चार चांद लगाती है, इसलिए स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत इसके चारों और पाथवे व बगीचे बनाकर 50 करोड़ रुपए से भी ज्यादा की राशि खर्च की गई। हालांकि आज झील के किनारे पाथवे पर खड़ा होना भी मुश्किल है। पूरे आनासागर में जलकुंभी फैली है। यह स्थिति पिछले दो माह से है। पानी की झील हरी घास का मैदान नजर आती है। प्रशासन ने झील को जलकुंभी मुक्त करने के लिए हरसंभव प्रयास किए। पोकलेन और जेसीबी से रोजाना जलकुंभी निकाली जा रही है। नगर निगम की डीविडिंग मशीन भी इसमें सहयोग कर रही है, लेकिन सारे प्रयास विफल हो गए। आज एक तरफ से जलकुंभी निकाली जाती है तो अगले दिन दूसरी तरफ उग जाती है। जलकुंभी ने अब पूरे आनासागर को चपेट में ले लिया है। पोकलेन जैसी विशालकाय मशीन भी जलकुंभी निकालने निकालते हांफ गई है। निगम की डीविडिंग मशीन तो बेकार साबित हो रही है।

आनासागर के किनारे ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा हुआ है। इसमें 8 नालों का गंदा पानी आता है। पहले गंदे पानी को शुद्ध कर आनासागर में डाला जाता था, लेकिन पिछले 6 माह से तकनीकी खराबी के कारण ट्रीटमेंट प्लांट बंद पड़ा है। ऐसे में नालों का गंदा पानी शुद्ध किए बगैर ही आनासागर में डाला जा रहा है। पर्यावरणविदों का मानना है कि जलकुंभी के लिए गंदा पानी पोषक तत्व होता है। झील में प्रतिदिन 12 एमएलडी से ज्यादा गंदा पानी गिर रहा है, इसलिए जलकुंभी सभी जगह फैल गई है। अब झील जलकुंभी से तभी मुक्त हो सकती है, जब शुद्ध पानी की आवक हो। गंदा पानी ना गिरे इसके लिए अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं हुए हैं। प्रशासन का सारा जोर जलकुंभी निकालने में लगा हुआ है। यह भी आश्चर्यजनक है कि पिछले कई माह से सीवरेज का गंदा पानी झील में गिर रहा है। यह तब है जब प्रशासन प्रतिमाह ढाई करोड़ रुपए प्लांट के रखरखाव के लिए ठेकेदार को दे रहा है। देखा जाए तो झील में जलकुंभी के लिए प्रशासन खुद जिम्मेदार है। सीवरेज का गंदा पानी डालकर प्रशासन ने ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए’ वाली कहावत को चरितार्थ किया है।