Ajmer पानी शुद्ध होने पर ही जलकुंभी से मुक्त हो सकेगी झील, लोगों को उम्मीद
आनासागर के किनारे ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लगा हुआ है। इसमें 8 नालों का गंदा पानी आता है। पहले गंदे पानी को शुद्ध कर आनासागर में डाला जाता था, लेकिन पिछले 6 माह से तकनीकी खराबी के कारण ट्रीटमेंट प्लांट बंद पड़ा है। ऐसे में नालों का गंदा पानी शुद्ध किए बगैर ही आनासागर में डाला जा रहा है। पर्यावरणविदों का मानना है कि जलकुंभी के लिए गंदा पानी पोषक तत्व होता है। झील में प्रतिदिन 12 एमएलडी से ज्यादा गंदा पानी गिर रहा है, इसलिए जलकुंभी सभी जगह फैल गई है। अब झील जलकुंभी से तभी मुक्त हो सकती है, जब शुद्ध पानी की आवक हो। गंदा पानी ना गिरे इसके लिए अभी तक कोई ठोस उपाय नहीं हुए हैं। प्रशासन का सारा जोर जलकुंभी निकालने में लगा हुआ है। यह भी आश्चर्यजनक है कि पिछले कई माह से सीवरेज का गंदा पानी झील में गिर रहा है। यह तब है जब प्रशासन प्रतिमाह ढाई करोड़ रुपए प्लांट के रखरखाव के लिए ठेकेदार को दे रहा है। देखा जाए तो झील में जलकुंभी के लिए प्रशासन खुद जिम्मेदार है। सीवरेज का गंदा पानी डालकर प्रशासन ने ‘बोया पेड़ बबूल का तो आम कहां से आए’ वाली कहावत को चरितार्थ किया है।