Ajmer पड़ी अतिक्रमण की मार , दीवार को सुरक्षा की जरूरत
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तारागढ़ और अजमेर शहर का परकोटा कभी आततायियों से आमजन की सुरक्षा का जिम्मा संभालता था। परकोटे की चौड़ी दीवारों को भेद कर कोई आततायी और बाहरी हमलावर कभी प्रवेश नहीं कर पाए, लेकिन शहर के इस ‘पहरेदार’ व सुरक्षा दीवार को भी जगह-जगह से नोंचा जा रहा है। शहर में तारागढ़ के दूसरे छोर से नई सम्पर्क सड़क, लौंगिया के बाद अब देहली गेट एवं त्रिपोलिया गेट के हालात भी समान हैं। कुछ जगह लोगों ने परकोटे के हिस्से को मकानों के बीच सुरक्षित रखा है तो कुछ ने परकोटे की दीवारों पर ही निर्माण शुरू कर दिए। कुछ ने परकोटे दीवार को जमींदोज कर वहां मकान एवं पार्किंग के हिस्से के रूप में काम लेना शुरू कर दिया है।
त्रिपोलिया गेट के पास भी परकोटा अतिक्रमण की जद में
त्रिपोलिया गेट के परकोटा का हिस्सा एवं बड़ी दीवारें अतिक्रमण की जद में आ गई हैं। कई लोगों ने परकोटा की दीवारों पर ही मकान की दीवारों खींच दी। यहां प्रशासन की ओर से कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही स्थिति देहली गेट के पास की है। देहलीगेट से आगे का हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है।
जिम्मेदारी लेने से हाथ खींच रहे, अतिक्रमण तक नहीं चिह्नित
शहरी क्षेत्र में परकोटा की दीवारों पर अतिक्रमण, खुर्द-बुर्द करने के बावजूद कोई विभाग जिम्मेदारी लेने में आगे नहीं आ रहा है। अब तक शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण चिह्नित भी नहीं किए गए हैं।त्रिपोलिया गेट के पास भी परकोटा अतिक्रमण की जद में त्रिपोलिया गेट के परकोटा का हिस्सा एवं बड़ी दीवारें अतिक्रमण की जद में आ गई हैं। कई लोगों ने परकोटा की दीवारों पर ही मकान की दीवारों खींच दी। यहां प्रशासन की ओर से कभी कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही स्थिति देहली गेट के पास की है। देहलीगेट से आगे का हिस्सा पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुका है।
जिम्मेदारी लेने से हाथ खींच रहे, अतिक्रमण तक नहीं चिह्नित
शहरी क्षेत्र में परकोटा की दीवारों पर अतिक्रमण, खुर्द-बुर्द करने के बावजूद कोई विभाग जिम्मेदारी लेने में आगे नहीं आ रहा है। अब तक शहरी क्षेत्र में अतिक्रमण चिह्नित भी नहीं किए गए हैं।