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Ajmer Diwali पर कभी चूना-कली से होती थी पुताई, अब रंगों में हजारों वैरायटी, वीडियो में देखें दिवाली कब और शुभ महूर्त

 
Ajmer Diwali पर कभी चूना-कली से होती थी पुताई, अब रंगों में हजारों वैरायटी, वीडियो में देखें दिवाली कब और शुभ महूर्त

अजमेर न्यूज़ डेस्क,  दीपावली पर घरों की सजावट और सुंदरता में सबसे आगे रंग होते हैं। अलग-अलग वैराइटी के कलर कॉबिनेशन दीवारों और घरों की काया-कल्प कर देते हैं। 15-20 साल पहले तक चूना-कली से घरों-दुकानों और दतरों की रंगाई-पुताई होती थी। अब रंगों में हजारों वैरायटी उपलब्ध हैं। रंग अब शान-शौकत का प्रतीक बन चुके हैं। कारोबार भी करोड़ों रुपए में पहुंच चुका है।शहर में पहले सोजत, नागौर और अन्य जिलों की चूना-कली से पुताई होती थी। मूंज से बनी कूची, लोहे के टब और अन्य सामग्री का इस्तेमाल कर कारीगर घरों-दुकानों, दतरों की पुताई में जुटते थे। अब यह नजारा देखने को नहीं मिलता। रंगों का कारोबार डिजिटल वर्ल्ड तक पहुंच चुका है।

पहले हाथ से मिक्सिंग, अब कंप्यूटराइज्ड

वैशाली नगर व्यवसायी किशोर कुमार ने बताया कि रंग अब शान-शौकत से जुड़ चुके हैं। कभी कलर बॉटल अथवा पेस्ट-थैली के माध्यम से हाथों का इस्तेमाल कर कलर कॉबिनेशन बनाया जाता था। अब कंप्यूटराइज्ड मशीन लग चुकी हैं। इनसे हजारों तरह के लाइट, डार्क, यूजन शेड बनाए जा सकते हैं। हर शेड का एक पृथक नबर होता है।

खत्म हो गया पुराना कारोबार

पारंपरिक चूना-कली से पुताई करने वाले पेंटर कैलाश और रमेशचंद्र ने बताया कि पुताई का काम करीब-करीब खत्म हो चुका है। उनके परिवार में भी अब ब्रश, रोलर और स्प्रे गन से कलर-पेंट का काम होता है। पिछले 20 साल में पारंपरिक चूना-कली से पुताई नहीं की है।