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Ajmer रसायनों का प्रयोग विफल, जलकुंभी बनी जी का जंजाल

 
Ajmer रसायनों का प्रयोग विफल, जलकुंभी बनी जी का जंजाल
अजमेर न्यूज़ डेस्क, अजमेर  नगर निगम आनासागर झील से जलकुंभी साफ करने के लिए किए जा रहे प्रयोग से ही मुक्त नहीं हो पा रहा है। दिनों-दिन यह समस्या विकराल हो रही है। गर्मी में जलकुंभी सड़ांध मारने लगी है। निगम प्रशासन अब कुछ दूसरे तरीके काम में लेने का मानस बना रहा है। झील से कलकुंभी निकालने के लिए इसमें केमिकल डाले जाने का प्रयोग असफल हो गया है। उत्तर प्रदेश के हापुड़ की एक कंपनी ने रासायनिक प्रक्रिया के तहत एक्वेरियम में केमिकल डालकर डेमो दिया था। जिसकी रासायनिक प्रक्रिया में मछलियां मरने लगीं। इसे देखते हुए झील में रसायन या केमिकल प्रयोग नहीं करने का निर्णय लिया गया है।

अब दो अन्य विकल्पों पर फोकस

बायोडिग्रेडेबल प्रकिया : निगम प्रशासन अब अन्य विकल्प के रूप में बॉयोलॉजिकल प्रयोग करेगा। इसमें बायोडिग्रेडेबल प्रकिया अपनाई जाएगी। विशेषज्ञों के अनुसार दक्षिण अफ्रीका से आयातित पावडर पानी में डालने पर जलीय पादप डी-कंपोज हो जाते हैं। जिन्हें मछलियां खा लेती हैं। हाल ही में जिला कलक्टर के समक्ष इसका प्रेजेंटेशन भी दिया गया है। इसमें यदि मछलियों व जलीय जीव सुरक्षित रहते हैं तो इसे अमल में लाया जा सकता है।

नैनो बबल्स प्रक्रिया में अल्ट्रा साउंड रेज का प्रयोेग : निगम प्रशासन से संपर्क करने पहुंची एक अन्य फर्म नैनो बबल्स प्रक्रिया से झील को जलकुंभी मुक्त करने का दावा कर रही है। इस तकनीक में पानी में बबल्स छोड़कर उन पर अल्ट्रासोनिक किरणें डाली जाएंगी। जो मछलियों को नुकसान पहुंचाए बिना जलकुंभी को झील के पैंदे में बैठा देगी जहां इन्हें मछलियां पानी के साथ निगल लेंगी। इन विधियों का प्रयोग करने के बाद जिला कलक्टर के समक्ष सोमवार को प्रजेंटेशन दिया जा सकता है।