Ajmer एक परिवार की सभी लोगों सड़क हादसे में मौत, जन्माष्टमी पर कराने वाला था भजन संध्या
अजमेर शहर की ज्ञान विहार कॉलोनी में रहने वाले रिटायर सरकारी कर्मचारी राधेश्याम खंडेलवाल (68), अपनी पत्नी शकुंतला देवी (65), बेटे मनीष (35), बहू याशिका (33) और 3 साल की पोती कीया के साथ मंगलवार सुबह (5 सितंबर) नाथद्वारा में श्रीनाथजी के दर्शन करने गए थे। रास्ते में अजमेर-चित्तौड़गढ़ हाईवे पर अचानक कार का टायर फट गया और बैंलेस बिगड़ गया। कार डिवाइडर से टकराकर सड़क के दूसरी ओर चली गई और सामने से आ रहे ट्रक से टकरा गई थी। हादसे में कीया और ड्राइवर घायल हो गए। वहीं बाकी चारों की मौके पर ही मौत हो गई थी। उनके घर पहुंची तो पूरी गली में खामोशी और एक दर्द का आभास हो रहा था। वहीं पास में राम मंदिर भी है, जिसके पुजारी भी इस हादसे से गमगीन थे। उन्होंने बताया कि राधेश्याम खंडेलवाल की पत्नी शकुंतला देवी अपने लड्डू गोपाल को मंदिर में रखकर गई थी। पुजारी ओमप्रकाश शास्त्री ने बताया कि शकुंतला खंडेलवाल हर दिन मंदिर में दर्शन करने आती थी। नाथद्वारा जाने से पहले भी उनसे मिलकर गई थी। उन्होंने कहा था कि- ' पंडित जी, मेरे लड्डू गोपाल को संभाल कर रखना'। परिवार जन्माष्टमी पर मंदिर में भजनों का प्रोग्राम करवाने वाला था।
पुजारी ने बताया कि शकुंतला देवी लड्डू गोपाल की इतनी सेवा करती थी कि उन्होंने लड्डू गोपाल के लिए छोटा पंखा भी लगवा दिया था, ताकि उन्हें गर्मी नहीं लगे। पंडित शास्त्री ने बताया कि वे हर दिन दो-तीन घंटे मंदिर में पूजा पाठ और भक्ति भाव में व्यतीत करती थी। पिछले दिनों कह रही थी कि इस बार जन्माष्टमी पर वह लड्डू गोपाल के लिए नाथद्वारा से झूला लेकर आएगी। पुजारी से बात कर हमारी टीम घर पहुंची तो रिश्तेदार वीडियो कॉल पर कीया का देख रहे थे। नन्हीं सी कीया बेहोशी से उठती तो बस मां-पा बोलती और फिर सो जाती। रिश्तेदार आपस में बात कर रहे थे कि नन्हीं सी जान को तो पता भी नहीं कि, उसके माता-पिता और दादा-दादी इस दुनिया में नहीं रहे। वो इन बातों को समझने के लिए बहुत छोटी है।
राधेश्याम खंडेलवाल के छोटे भाई श्यामसुंदर ने बताया कि भाई रिटायरमेंट के बाद लंबे समय से दिल्ली गेट के पास डेयरी का संचालन करते थे। उनका बेटा मनीष, बहू याशिका और पोती 3 साल की बेटी कीआ दुबई में रहते थे। मनीष और यशिका का दुबई सहित कई देशों में कारोबार था। मनीष की 2014 में शादी हुई थी। उसके बाद से ही विदेश में रह रहा था। मनीष पत्नी और बेटी कीआ के साथ 30 अगस्त को ही दादी की बरसी में शामिल होने अजमेर आया था। पूरा परिवार काफी खुश था। 4 सितंबर को बरसी के प्रोग्राम के बाद अचानक ही उनका नाथद्वारा जाने का प्रोग्राम बना था। 5 सितंबर सुबह 4 बजे सभी कार (कैब) से नाथद्वारा के लिए निकल गए थे। जाते हुए मंगलवार सुबह 7 बजे पांसल के पास हादसा हो गया। मनीष 9 सितंबर को वापस दुबई लौटने वाला था। हादसे के बाद परिवार भीलवाड़ा पहुंचा था। चारों के शव लेकर अजमेर आए थे। मंगलवार शाम को घर से एक साथ चारों की अर्थी उठी तो रिश्तेदारों के साथ ही पड़ोसियों की भी आंखों में आंसू आ गए। किसी के घर में चूल्हा तक नहीं जला। ऋषि घाटी स्थित श्मशान में एक साथ चारों की चिता को मुखाग्नि दी गई।