Ajmer इस बार भी 93 हजार टॉपर्स को नहीं मिलेंगे टैबलेट, चिंता ये आखिर देगा कौन?

शिक्षा निदेशालय ने मांगा फंड, आरबीएसई नहीं माना
माध्यमिक शिक्षा राजस्थान बीकानेर के वित्तीय सलाहकार की ओर से बोर्ड सचिव को भेजे गए पत्र में बताया गया है कि वर्ष 2019-20, 2020-21. वर्ष 20121-22 एवं 2322-23 में माध्यमिक शिक्षा विभाग के कक्षा 8, 10 एवं 12 के मेधावी विद्यार्थियों को लैपटॉप के स्थान पर 3 वर्ष के इंटरनेट कनेक्शन के साथ टैबलेट उपलब्ध कराया जाना है। 93 हजार टैबलेट बांटी जानी हैं और एक की कीमत करीब 23,900 रुपये है. टैबलेट की कुल लागत 222.27 करोड़ रुपये है, जिसे माध्यमिक शिक्षा बोर्ड द्वारा वहन किया जाना है। अत: कृपया उक्त धनराशि की उपलब्धता सुनिश्चित कर सूचित करें ताकि टेबलेट क्रय की कार्यवाही पूर्ण की जा सके। इस पत्र के बाद बोर्ड प्रशासन ने विशेष कार्याधिकारी, वित्तीय सलाहकार रश्मी बिस्सा, उप सचिव राजेश निर्वाण, उप निदेशक गणेश चौधरी की चार सदस्यीय समिति का गठन किया। कमेटी की बैठकें भी हुईं लेकिन पैसा देने पर सहमति नहीं बनी.
जानकार सूत्रों के मुताबिक बोर्ड ने निदेशालय को पैसा देने से साफ इनकार कर दिया है. यही कारण है कि कमेटी की ओर से अब तक कोई रिपोर्ट पेश नहीं की गयी है. बोर्ड की ओर से राज्य सरकार को कोई रिपोर्ट नहीं भेजी गयी. शिक्षा निदेशालय, बीकानेर के वित्तीय सलाहकार संजय धवन ने कहा कि टॉपर्स को टैबलेट वितरण के लिए निविदाएं जारी कर दी गई हैं और 18 अगस्त को खोली जाएंगी। जहां तक बजट का सवाल है, इसका खर्च राजस्थान माध्यमिक बोर्ड द्वारा वहन किया जाएगा। शिक्षा जिसके लिए सरकार पहले ही निर्णय ले चुकी है. बोर्ड को पत्र भेजा गया है लेकिन अभी तक उनकी ओर से कोई जवाब नहीं आया है. अगर बोर्ड पैसा नहीं देगा तो सरकार इस संबंध में फैसला लेगी.
राज्य सरकार की घोषणा के बाद शिक्षा निदेशालय, बीकानेर ने इसकी तैयारी कर ली है। टेंडर होने के बाद फंड जमा किया जाएगा और उसके बाद इसकी प्रक्रिया शुरू होगी. लेकिन, एक सवाल यह भी है कि अगर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यह पैसा नहीं देगा तो क्या होगा? बताया जा रहा है कि दूसरा विकल्प यह होगा कि सरकार को यह फंड अपने स्तर पर जुटाना होगा. वहीं, अगर सरकार की ओर से इतनी बड़ी रकम का इंतजाम नहीं किया गया तो इस बार भी गोलियां अटक जाएंगी. सरकार के इस फैसले को लेकर बोर्ड में कर्मचारी पहले ही अपना विरोध जता चुके हैं. बोर्ड मंत्रालयिक कर्मचारी संघ के पूर्व अध्यक्ष एवं बोर्ड कर्मचारी नेता मोहनसिंह रावत ने कर्मचारियों के समूह को संदेश भेजकर इस निर्णय का विरोध करने की अपील की. उन्होंने कहा कि सरकार को इस खर्च को बोर्ड पर डालने के बजाय अपने स्तर पर इसके बजट की व्यवस्था करनी चाहिए. बोर्ड को यह पैसा नहीं दिया जाना चाहिए. बोर्ड के खर्चे दिन-ब-दिन बढ़ते जा रहे हैं और ऐसे में अगर बोर्ड इतनी बड़ी रकम देता है तो आने वाले समय में कर्मचारियों की पेंशन, सैलरी और अन्य खर्चों में दिक्कतें बढ़ जाएंगी. बोर्ड परीक्षा के होनहार विद्यार्थियों को लैपटॉप देने की योजना वर्ष 2013-14 से लागू की गई थी। शिक्षा विभाग की इस योजना के तहत राज्य स्तर पर कक्षा 8वीं, 10वीं/प्रवेशिका और 12वीं में प्रत्येक कक्षा के 6 हजार और 100-100 मेरिटो