Ajmer स्वराज महोत्सव, प्रबुद्ध नागरिक सम्मेलन विभिन्न प्रयासों और अनगिनत बलिदानों का परिणाम था
अजमेर न्यूज़ डेस्क, भारत को स्वराज 15 अगस्त 1947 को किसी एक नेता या एक प्रयास से नहीं, बल्कि साहित्य, संगीत, कला, पत्रकारिता और अध्यात्म आदि के क्षेत्र में अनगिनत क्रांतिकारियों के विभिन्न प्रयासों और बलिदानों के कारण मिला। यह विचार प्रसिद्ध लेखक और विचारक हनुमान सिंह राठौर ने जवाहर थिएटर में नगर निगम अजमेर और विद्वत परिषद विद्या भारती संस्थान अजमेर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित प्रबुद्ध नागरिकों के सम्मेलन में व्यक्त किया था। उन्होंने कहा कि स्वराज 75 का अमृत महोत्सव ऐसे ही वास्तविक नायकों की पहचान का पर्व बन गया है। उन्होंने अमृत महोत्सव के निम्नलिखित चार युवाओं को बिलीव इंडिया, नो इंडिया, बी इंडिया और मेक इंडिया समेत बताया।
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पद की अध्यक्षता करते हुए नगर निगम की महापौर बृजाल्टा हाड़ा ने स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव को जन जागरूकता वर्ष बनाने का आह्वान किया। इससे पूर्व आदर्श विद्या निकेतन, पुष्कर छापे के प्राचार्य भूपेंद्र उबाना ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए स्वराज 75 महोत्सव की पंचामृत अवधारणा को प्रस्तावना मानते हुए कहा कि यह अमृत महोत्सव पंचामृत संकल्पों वाली पीढ़ी बनाने का अभियान है. पहला है अपने पूर्वजों का पुण्य स्मरण, दूसरा है इस देश के लिए अपने पूर्वजों के सपनों का साकार होना, तीसरा है शाश्वत भारत की झलक, चौथी है आधुनिक भारत की चमक और पांचवीं है भारत की स्पष्ट दृष्टि स्वयं। कार्यक्रम के दौरान विद्या भारती चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति बालूराम चीपा, मंत्री वीरेंद्र शर्मा, विद्वत परिषद चित्तौड़ प्रांत के अध्यक्ष संतोष आनंद, संगठन मंत्री गोविंद कुमार सहित अजमेर शहर के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे.
