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राजस्थान के भिनाय की कोड़ामार होली! जब रंगों की जगह पड़ती हैं चोटें, जानिए 400 साल पुरानी परंपरा का रूह कंपाने वाला रहस्य

 
राजस्थान के भिनाय की कोड़ामार होली! जब रंगों की जगह पड़ती हैं चोटें, जानिए 400 साल पुरानी परंपरा का रूह कंपाने वाला रहस्य 

अजमेर न्यूज़ डेस्क - भिनाय की कोड़ामार होली का नाम सुनते ही रूह कांपने लगती है। निश्चित सीमाओं में बंटे गांव के दो हिस्सों के लोग चौक-कावड़िया नामक समूह के रूप में मुख्य बाजार के नक्शे पर आमने-सामने आते हैं और एक-दूसरे पर कोड़े बरसाते हैं। दूसरे समूह के खिलाड़ियों को एक निश्चित दूरी तक कोड़े मारकर भगा दिया जाता है। इससे हार-जीत का फैसला होता है। अजमेर से करीब 55 किलोमीटर दूर भिनाय गांव में खेली जाने वाली इस कोड़ामार होली को देखने के लिए प्रदेश भर से लोग आते हैं। होली की कुश्ती के लिए भिनाय के प्रवासी भी जुटते हैं। 400 साल से चली आ रही इस परंपरा को भिनाय के योद्धा आज भी निभा रहे हैं। कभी फाल्गुन माह शुरू होते ही लोग होली के नशे में चूर हो जाते थे। लेकिन अब यह घुलंडी के दिन से शुरू होकर अगले तीन दिन तक चलती है।

पहले भैरूजी की स्थापना, फिर कुश्ती
भिनाय के कोवाड़ा बाजार में भैरूजी की स्थापना के साथ ही कोवाड़ा मार होली की शुरुआत होती है। कोड़ा मार होली के मुकाबले दो से तीन दिन तक चलते हैं। फिर दोनों टीमें तय सीमा पर खड़ी होती हैं और ढोल की थाप और बांके की गूंज के साथ जोशीले अंदाज में कोड़ा मार शुरू होती है। देखने के लिए हजारों लोग छतों पर पहुंचते हैं।राजाओं-महाराजाओं के जमाने से खेली जाने वाली कोड़ा मार होली में गांव को दो बराबर हिस्सों में बांटा जाता है। इनमें से एक राजा की टीम और दूसरी रानी की टीम होती है। आधे गांव की एक टीम को चौक कहते हैं, जबकि आधे गांव की दूसरी टीम को कावड़िया कहते हैं। दोनों पक्षों से करीब 10 से 20 खिलाड़ी कोड़ा मार होली खेलने उतरते हैं। पहले राजा अपनी सेना में सैनिकों की भर्ती के लिए इसी चयन प्रक्रिया को अपनाते थे। इसके साथ ही उन्होंने लोक संस्कृति की परंपरा को भी सहेजा।

कोड़ों को पानी में भिगोकर लकड़ी जैसा सख्त बनाया जाता है
कोड़ों को बांस की रस्सी के दो से तीन धागों से बुनकर बनाया जाता है। कोड़ों पर गांठ जैसा उभार होता है। होली से पहले इन्हें पानी में भिगोया जाता है। बाहर निकालने पर ये डंडे की तरह सख्त हो जाते हैं। इनसे एक-दूसरे पर हमला किया जाता है। सीधे हमले से बचने के लिए खिलाड़ी सिर पर पगड़ी बांधते हैं।

इनके नाम थे मशहूर
कोडामार होली में कस्बे के कई मशहूर खिलाड़ी रहे हैं। इनके नाम सुनकर ही विरोधी टीम डर जाती थी। इनमें सोभागमल सुराणा, मदन लाल जोशी, दुर्गा दत्त जोशी, जगदीश आचार्य, रतन लाल वर्मा, श्रवण लाल मिश्रा, सोमदत्त जोशी, जगदीश आचार्य, दूदा गुर्जर, बनवारी लाल मिश्रा, भंवरलाल धाबाई, रतनलाल धाबाई, श्रीलाल धाबाई, प्रेम जोशी, मोहम्मद पीर, असफाक खान समेत कई पुराने खिलाड़ी मशहूर थे।