Jaipur Literature Festival 2022: जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2022 काव्य के विविध रंगों कि बारिश से सजायेगा महफ़िल, लगेगा साहित्य का महाकुम्भ
Jaipur Literature Festival 2022: पांच दिवसीय जयपुर (Jaipur, Rajasthan) लिटरेचर फेस्टिवल 2022 का 15वां संस्करण 5 से 14 मार्च के बीच जयपुर में आयोजित किया जायेगा। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में इस बार 15 भारतीय भाषाओं के साथ कुल 35 भाषाओं में 500 स्पीकर्स महोत्स्व में शिरकत करेंगे। आईये जानते हैं इसके बारे में विस्तार से
जयपुर न्यूज़ डेस्क, कला, संस्कृति और साहित्य का अभिन्न भाग कविता या काव्य है, और विस्तृत सन्दर्भ में देखें तो काव्य किसी सभ्यता की विरासत को दर्शाता है। हाईब्रिड अवतार में होने जा रहे, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2022 में समकालीन जगत के कई लोकप्रिय कवि भाग लेंगे| फेस्टिवल में ऐसे कई सत्रों का आयोजन होगा, जिनमें काव्य के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा होगी।
पायनियरिंग परफोर्मिंग आर्ट्स और टीमवर्क आर्ट्स द्वारा प्रोड्यूस फेस्टिवल में पाठन और संवाद के कई सत्र होंगे| ऐसे ही एक सत्र में, लेखिका, कवयित्री, अनुवादक और कार्यकर्त्ता, मीना कंडासामी श्रोताओं के सामने एक बहुआयामी सफ़र को प्रस्तुत करेंगी, जिसके माध्यम से उन्होंने स्वयं को, राजनीति को और लिंग को समझा| आपने गद्य, पद्य और अनुवाद के माध्यम से कई किताबों की रचना की, जैसे जिप्सी गोडेस, दिस पोएम विल प्रोवोक यू, वेन आई हिट यू, द ऑर्डर्स वर रेप यू एंड वीमेन, ड्रीमिंग। कंडासामी से संवाद में पेंगुइन रेंडम हाउस इंडिया की एग्जीक्यूटिव एडिटर, मानसी सुब्रमण्यम शब्दों, विश्वास, आदर्श और भावों पर रौशनी डालेंगी।
सर एडविन आर्नोल्ड की वर्ष 1879 में आई, प्रसिद्ध कविता, द लाइट ऑफ़ एशिया ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। सर आर्नोल्ड द्वारा की गई भगवत गीता की पुनर्व्याख्या निर्विवादित रूप से महात्मा गांधी की पसंदीदा थी| लेखक और राज्य सभा सदस्य, जयराम रमेश की किताब, द लाइट ऑफ़ एशिया: द पोएम दैट डिफाइंड द बुद्ध, इस कविता के कथ्य और बौद्ध इतिहास को समझने में मील का पत्थर है। साहित्य, संस्कृति, राजनैतिक और सामाजिक इतिहास को आपस में गूंथने वाली यह किताब न सिर्फ हमें बुद्ध को समझने में मदद करती है, बल्कि कवि की विविध भावनाओं से भी परिचय कराती है, जो खुद संस्कृत साहित्य में रमे हैं। लेखिका और अकादमिक, मालाश्री लाल के साथ संवाद में, रमेश इस आइकोनिक कविता और दुनिया पर इसके अमिट प्रभाव की चर्चा करेंगे।
राजनीति और काव्य की नज़र से अस्तित्व के अधिकार को समझने वाले एक अन्य सत्र में, कंडासामी और कवि अखिल कात्याल से संवाद करेंगी प्रसिद्ध पत्रकार मंदिरा नायर, ये मत, ताकत और भिन्नता के स्वरों की बात करेंगे।पुरस्कृत कवयित्री, लेखिका और आलोचक अरुंधति सुब्रमनियम ने समकालीन अध्यात्म लेखन और खोज में बहुत योगदान दिया है। सत्र ‘वीमेन हु वियर ओनली देमसेल्व्स: योग, पोएट्री एंड कल्चर’, में, आपसे संवाद करेंगी, युवा एकता फाउंडेशन की मैनेजिंग ट्रस्टी पुनीता रॉय, आप व्यक्ति की चेतना और ब्रह्माण्ड पर चर्चा करेंगी।
फेस्टिवल में ‘पोएट्री ऑवर’ सीरिज के तहत, भिन्न भाषाओँ, धुनों और शैलियों के माध्यम से काव्य की असीमित संभावनाओं को तलाशा जायेगा|। चार सत्रों में विभाजित, ‘पोएट्री ऑवर’ में हिस्सा लेंगे: राजस्थान के प्रमुख लेखक चन्द्र प्रकाश देवल; कवि और संपादक सुदीप सेन; पुरस्कृत कवि और लेखक केंफम सिंग नोंगिनरी, जो खासी और अंग्रेजी में लिखते हैं; राजस्थानी और हिंदी लेखक व अनुवादक जितेन्द्र कुमार सोनी; बांग्ला लेखिका अनीता अग्निहोत्री; हिंदी और राजस्थानी के जाने-माने लेखक नंद भारद्वाज; लेखक और अनुवादक अखिल कात्याल; कवि, आलोचक, सांस्कृतिक सिद्धांतवादी और साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित रंजीत होस्कोटे; लेखिका, कवयित्री, अनुवादक और कार्यकर्त्ता मीना कंडासामी; प्रकाशक और राजस्थान की पहली द्विभाषी पत्रिका, सिम्पली जयपुर के संपादक अंशु हर्ष; कवयित्री और लेखिका अनुकृति उपाध्याय; लेखिका और ओडिया साहित्य की प्रमुख आवाज़ पारमिता सत्पथी; फोटोग्राफर और लेखक देवेन्द्र बिसारिया; कवयित्री, संपादक और संग्रहकर्ता कला रमेश; लेखिका और साहित्यिक इतिहासकार रक्षंदा जलील।