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Udaipur पैंथर पार्क के उस पार, तीन दिन से तलाश जारी

 
Udaipur पैंथर पार्क के उस पार, तीन दिन से तलाश जारी
उदयपुर न्यूज़ डेस्क, उदयपुर  शहर में स्थित सज्जनगढ़ सेंचुरी स्थित बायाे पार्क के पिंजरे से गायब हुआ पैंथर तीसरे दिन भी नहीं मिला। वन विभाग सीधे तौर से तो कुछ नहीं कह रहा, लेकिन विभाग के कुछ कर्मचारियों और तथ्यों के आधार पर यह तय माना जा रहा है कि वह पार्क में है ही नहीं। वह दीवार और करंट वाली फेंसिंग पार कर बाहर निकल चुका है।इस बीच, गुरुवार को भी पार्क टूरिस्टों के लिए बंद रखा गया और कर्मचारी अंदर ही पैंथर को ढूंढने में जुटे रहे। अब तेंदुए के पगमार्क के लिए जगह-जगह रेत बिछाई गई है।डीएफओ डीके तिवारी ने इस बात पर तो कुछ नहीं कहा कि तेंदुआ पार्क में माैजूद है या भाग गया है, लेकिन यह जरूर कहा कि हमारी खोजबीन जारी है। विभाग का फाेकस इस पर है कि अगर वह पार्क में है तो सबसे पहले उसे पकड़ा जाए। त्याेहारी सीजन हाेने से पर्यटक भी घूमने अाएंगे। इसके लिए बायाे पार्क काे जल्द खाेलना हाेगा। सर्च लाइट से भी उसे तलाश किया जा रहा है। इसके अलावा पिंजरे लगाकर बकरे बांधे गए हैं। अगले दाे में दिन स्थिति साफ हाे पाएगी कि तेंदुआ भागा है या नहीं।

बता दें कि आदमखोर पैंथर ने गोगुंदा व मदार में 18 सितंबर से 16 अक्टूबर के बीच 8 लोगों की जान ली थी। इस बीच विभाग ने चार पैंथर पिंजरे में कैद किए। पांचवां तेंदुआ सोमवार को लखावली से पकड़कर शाम 6:30 बजे पार्क में लाए थे। वह तीन साल का मादा था। मंगलवार सुबह वह पिंजरे से फरार हो गया। कर्मचारियों पर लॉकिंग सिस्टम से छेड़छाड़ या उसे ठीक ढंग से बंद नहीं करने जैसे सवाल भी उठे थे।

144 बीघा में पार्क, हर ढाई बीघा में कर्मी, फिर भी अदृश्य
बायो पार्क 36 हेक्टेयर में बना है। वन विभाग के अधिकारियाें के अनुसार एक हेक्टेयर में 4 बीघा हाेता है यानी 144 बीघा में फैला है। यहां 60 कर्मचारी 3 तीन दिन से उसे तलाश रहे हैं। एक कर्मचारी का हिस्सा माना जाए तो ढाई बीघा से भी कम होता है। 15 ट्रैप कैमरे और 30 सीसीटीवी कैमरे भी हैं। तीन दिन में 24 घंटे निगरानी के बावजूद पैंथर का नहीं दिखना चौंका रहा है। इन तथ्यों के आधार पर तो उसका पार्क से बाहर होना ही तय होता है।

दिनभर शोर-शराबा, बावजूद इसके न कोई आहट-न गुर्राहट
रेस्क्यू टीम से जुड़े कर्मचारियाें ने बताया कि जंगल में झाड़ियाें काे हटाने के लिए जेसीबी चलाई जा रही है। इसकी आवाज सुनकर कहीं ताे तेंदुआ बाहर आना चाहिए। यहां खुले में चाैंसिगा, चीतल, हिरण माैजूद हैं। इस बीच, उसे भूख भी लगी होगी, लेकिन वह इन पर भी हमला नहीं कर रहा। यह भी चौंकाता है। हालांकि, इन वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए भी यहां टीमें तैनात हैं। उन्हें भी पैंथर नहीं दिखा तो फिर उसे पार्क में कैसे माना जा सकता है।

न इतना शांत बैठेगा, न इतना छिपेगा, मतलब पार्क में नहीं
सेवानिवृत्त डीएफओ फतेह सिंह राठाैड़ बताते हैं कि पैंथर शांत रहने वाला वन्यजीव नहीं है। टीमाें के मूवमेंट पर कहीं ताे आवाज करता। पार्क के आधे एरिया में एनक्लाेजर हैं, आधे में जंगल। 60 लोगों की टीम कुछ घंटों में पूरा पार्क देख सकती है। तीन दिन तक वह छिपकर भी नहीं बैठ सकता। अभी मेटिंग सीजन है। वह मादा तेंदुआ थी, सेंचुरी में गई तो नर तेंदुओं ने अपना लिया होगा। कोई नर तेंदुआ भागा हाेता ताे टेरेटरी काे लेकर लड़ाई हाेती।

पार्क में सुरंग...दो साल पहले भी फेंसिंग बंद थी, दो दिन तक आता-जाता रहा पैंथर, हिरण भी मार गया
मार्च 2022 में सज्जनगढ़ सेंचुरी से तेंदुआ बायोलॉजिकल पार्क में घुस आया था। उसने एनक्लोजर में घुसकर चार काले हिरण मार डाले थे। तेंदुआ लगातार दाे दिन तक बायाे पार्क में आया और गया, लेकिन विभाग कुछ नहीं कर पाया। बाद में इस मामले की जांच कराई गई तो सामने आया कि पार्क की दीवारों पर लगी साेलर फेंसिंग में करंट नहीं बन रहा था। ऐसे में पैंथर को पार्क में आने-जाने में परेशानी नहीं हुई। इस बार भी हालात कुछ ऐसे ही लग रहे हैं।

और पार्क इसलिए बंद...पैंथर भले ही न हो, कोई रिस्क नहीं लेना चाहता विभाग
वन विभाग के कुछ कर्मचारी दबी जुबां में यह बात तो मान रहे हैं कि पैंथर पार्क में नहीं है, लेकिन सीधे बोलने से बच रहे हैं। जब उनसे पूछा गया कि पार्क बंद क्यों कर रखा है तो बोले- विभाग कोई रिस्क नहीं लेना चाहता। अभी पार्क खोल दिया जाए और पैंथर किसी टूरिस्ट पर हमला कर दे तो आफत और बढ़ जाएगी। इसी कारण सतर्कता बरती जा रही है।