Tonk सुदामा चरित्र, जरासंध वध एवं परीक्षित मोक्ष की कथा का वर्णन
टोंक न्यूज़ डेस्क, मोरला गांव के सात बहनों के मंदिर प्रांगण में संगीतमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के अंतिम दिन कथावाचक नवीन कृष्ण महाराज के प्रवचन से माहौल भक्तिमय हो गया। कथा के अंतिम दिन ग्रामीणों ने कथावाचक को शॉल व नारियल देकर विदाई दी। महाआरती व प्रसाद वितरण के साथ कथा का समापन हुआ। कथा के दौरान भगवान कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का वर्णन किया गया। कथावाचक नवीन कृष्ण महाराज ने सुदामा चरित्र, जरासंध वध व परीक्षित मोक्ष आदि प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया।
सुदामा भगवान कृष्ण के सबसे अच्छे मित्र थे। वे भिक्षा मांगकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। गरीबी के बावजूद वे सदैव भगवान के ध्यान में लीन रहते थे। पत्नी सुशीला के बार-बार आग्रह करने पर सुदामा भगवान कृष्ण से मिलने द्वारका गए। द्वारपाल ने जब भगवान कृष्ण को बताया कि सुदामा नाम का ब्राह्मण आया है। यह सुनते ही कृष्ण नंगे पांव दौड़ते हुए आते हैं और अपने मित्र को गले लगाते हैं। उनकी हालत देखकर भगवान कृष्ण की आंखों से आंसुओं की धारा बहने लगती है। इसके बाद वे सुदामा को महल में ले जाते हैं। जहां वे सुदामा को राजगद्दी पर बिठाते हैं और उनके पैर धोते हैं। सभी रानियां सुदामा से आशीर्वाद लेती हैं। यह प्रसंग सुनकर श्रोता भावुक हो गए। कथा के दौरान क्षेत्र और आसपास के लोग मौजूद रहे।