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Pratapgarh मिट्टी के दीये बनाने की प्राचीन परंपरा आज भी गांवों में जारी

 
Pratapgarh मिट्टी के दीये बनाने की प्राचीन परंपरा आज भी गांवों में जारी
प्रतापगढ़ न्यूज़ डेस्क, जगमग रोशनी एवं दीपों का त्योहार दीपावली पर्व का जिक्र आते ही जेहन में मिट्टी के दीपक का खयाल उठ आता है। दीपों का त्योहार दीपावली मिट्टी के दीपक के बिना अधूरा माना जाता है। आधुनिक चकाचौंध के बीच आज भी कुछ ऐसे लोग हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी प्राचीन परंपरा का निर्वाहन कर रहे है। इसमें मिट्टी के दीपक बनाने के कार्य में लगकर इस प्राचीन परंपरा को जीवंत बनाए रखे हुए है। बात करें धरियावद कस्बे की तो यहां कुमारवाड़ा निवासी दीवंगत बाबूलाल प्रजापत का परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी मिट्टी के दीपक बनाने की प्राचीन परंपरा निभाता आ रहा। पिता बाबूलाल के करीब 3 वर्ष पूर्व देहांत के बाद उनका इकलौता पुत्र 33 वर्षीय बीएड धारक कमलेश प्रजापत अपनी माता गीतादेवी और पत्नी के साथ इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे है। बीएड धारक निजी विद्यालय में बतौर शिक्षक कमलेश के अनुसार दीपावली त्योहार से 15 से 20 दिन पूर्व मिट्टी दीपक बनाने का कार्य शुरू हो जाता। जिसमे सुबह 5 बजे उठकर जंगल में मिट्टी लेने जाना पड़ता है। वहां से तीन प्रकार की मिट्टी जिसमें लाल, काली, पीली को खोदकर बोरे में भरकर लाते हैं। बाद चौक पर उस मिट्टी को दीपक की आकृति दी जाती है। एक दिन सूखने के बाद मिट्टी के बने दीपक को बाजार में प्रति दीपक एक से 3 रुपए की कीमत पर बेच जाता है। पिता से सीखकर मिली इस प्राचीन परंपरा विरासत को आगे बढ़ा रहे उनके बनाए दीपक धरियावद कस्बे सहित आसपास के गांव में अच्छी तादाद में बिकते है।

उसने बताया कि इनमें मिट्टी के कलात्मक दीपक के अलावा मिट्टी से निर्मित अन्य वस्तुएं एवं मटके भी खुले बाजार में कमलेश एवं उनकी माता गीतादेवी द्वारा दीपावली त्योहार से पहले बेचने को निकलते हैं। जो वर्षभर दौर चलता है। इस संबंध में कलाकार कमलेश ने बताया कि दीपक बनाने में उसकी पत्नी भी हाथ बंटाती है।

इस प्रकार तैयार होते हैं मिट्टी के दीपक

कमलेश के अनुसार मिट्टी के दीपक बनाने का कार्य दीपावली से करीबन एक माह पूर्व शुरू हो जाता है। मिट्टी को पानी के मिश्रण से मिट्टी को गीला किया जाता है। सूखने के बाद इनको चाक पर घुमाकर दीपक का रूप दिया जाता है। दीपक की आकृति के बाद इनको सुखाया जाता है। बाद यह मिट्टी के दीपक बाजार गली मोहल्ले में बिकने को तैयार होते है।