हफ्ते में दो बार लगाया जाएगा 'नालम कक्कुम स्टालिन' स्वास्थ्य शिविर, गरीब लोगों से मिलेगा इसका लाभ
चेन्नई, 7 दिसंबर (आईएएनएस)। तमिलनाडु में ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए चलाया जा रहा स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम 'नालम कक्कुम स्टालिन' अब हफ्ते में एक बार नहीं, बल्कि दो बार आयोजित किया जाएगा।
ये घोषणा तमिलनाडु के स्वास्थ्य मंत्री मा. सुब्रमण्यम ने की है। ये फैसला निर्धारित समय में ज्यादा से ज्यादा लोगों को स्वास्थ्य फायदा पहुंचाने और तय समय में शिविरों की नियोजित संख्या को पूरा करने के उद्देश्य से लिया गया है।
राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में, मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन की अध्यक्षता में योजना को तेजी से लागू करने और ज्यादा से ज्यादा लोगों के लाभ पहुंचाने के लिए ये फैसला लिया गया है। अब स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम के तहत हफ्ते में दो बार शिविर लगाए जाएंगे और अगर लगता है कि शिविरों की संख्या बढ़ानी है, तो उसपर भी पूरा फोकस किया जाएगा। शिविर राज्य के सभी राजस्व जिलों में सप्ताह में दो दिन, गुरुवार और शनिवार को आयोजित होंगे।
बता दें कि 'नालम कक्कुम स्टालिन' योजना तमिलनाडु सरकार का स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम है, जिसके तहत समाज के गरीब और कमजोर वर्गों के लिए निःशुल्क स्वास्थ्य जांच और बीमारी के शीघ्र निदान की सुविधा दी जाती है। कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य कैंसर और टीबी जैसी बीमारियों के प्रसार को रोकना भी है। कैंसर और टीबी के निदान के लिए शिविर जांच और इलाज दोनों की सेवा देता है।
स्वास्थ्य सेवा कार्यक्रम 'नालम कक्कुम स्टालिन' के तहत लगे शिविर पर बात करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कांचीपुरम जिले में आयोजित शिविरों की मदद से ही छह नए कैंसर के मामलों का पता चला है, जिनमें स्तन कैंसर के दो और गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के चार मामले शामिल हैं। नए मामले सामने आने के बाद मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया है और इसके अलावा, कई टीबी के मरीजों का भी पता चला है।
बात दें कि राज्य में कुल 1,256 शिविर लगने हैं और अब तक बीते 18 हफ्तों में 678 शिविर लग चुके हैं। 678 शिविर में अब तक 10 लाख से ज्यादा लोग चिकित्सक सुविधाओं का लाभ उठा चुके हैं और बाकी के बचे शिविर भी जल्द ही लगा दिए जाएंगे।
स्वास्थ्य मंत्री ने आगे बताया कि शिविरों में लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी जैसे बीपी, मेंटल हेल्थ और डायबिटीज से ग्रस्त लोगों पर भी फोकस किया जा रहा है। शिविरों में सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़े समूहों के लोगों को प्राथमिकता दी जा रही है।
--आईएएनएस
पीएस/एएस
