राजनीति में वजूद बनाए रखने के लिए ट्रैक बदल रहे हैं संजय राउत : संजय शिरसाट
मुंबई, 3 जनवरी (आईएएनएस)। शिवसेना नेता और मंत्री संजय शिरसाट ने शुक्रवार को आईएएनएस से खास बातचीत की। इस दौरान उन्होंने शिवसेना नेता संजय राउत के राजनीतिक ट्रैक में बदलाव पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि संजय राउत अब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के साथ साझेदारी छोड़कर अपनी दिशा बदल रहे हैं।
संजय शिरसाट ने कहा कि संजय राउत को अब अहसास हो चुका है कि जिन लोगों को वह पहले भोंगा कहते थे, अब उन्हीं से बात करने की आदत डाल रहे हैं। वह अब कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस के साथ नहीं रहना चाहते, क्योंकि उन्हें यह अच्छी तरह से समझ में आ गया है कि इन दोनों पार्टियों का भविष्य क्या है। वह अब अपनी राजनीति को एक नए रास्ते पर लेकर चलना चाहते हैं।
उन्होंने कहा कि संजय राउत अब अपनी राजनीतिक पहचान बनाए रखने के लिए कांग्रेस और राकांपा के साथ अपने संबंधों को खत्म कर रहे हैं। राउत का यह कदम पूरी तरह से राजनीतिक स्वार्थ और व्यक्तिगत लाभ के लिए है। उन्होंने यह दावा भी किया कि राउत ने हमेशा देवेंद्र फडणवीस को गालियां दीं, लेकिन अब वह उनके बारे में अच्छा बोल रहे हैं, जो कि एक बड़े बदलाव का संकेत है।
संजय शिरसाट ने कहा कि इन दिनों यूबीटी के नेता शिवसेना में शामिल हो रहे हैं। हर रोज लोग हमारे साथ जुड़ रहे हैं। एक पूर्व महापौर भी हमारे साथ जुड़ेंगे। यह हमारे लिए एक अच्छा संकेत है और शिवसेना के साथ आने वाले लोगों की संख्या बढ़ रही है।
देवेंद्र फडणवीस की सराहना करने के सुप्रिया सुले के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए संजय शिरसाट ने कहा कि अगर सुप्रिया सुले को फडणवीस की सराहना करनी थी, तो उन्होंने यह बात पिछले डेढ़ महीने में क्यों नहीं कही? अब वह अजित पवार और शरद पवार के साथ आने की बात कर रही हैं, जो यह संकेत है कि वे राजनीति की दिशा बदलने की योजना बना रहे हैं।
अजित पवार और शरद पवार के एक साथ आने के बारे में पूछे गए सवाल पर शिरसाट ने कहा कि यह निर्णय हमारे वरिष्ठ नेता करेंगे और हम उनके फैसले के साथ खड़े रहेंगे। हम यह सुनिश्चित करेंगे कि जो भी निर्णय लिया जाएगा, वह हमारे लिए स्वीकार्य होगा। उन्होंने कहा कि अजित पवार की मां आशाताई पवार द्वारा यह कहा जाना कि दोनों पवार भाइयों को एक साथ आना चाहिए, एक भावनात्मक बयान है और इसे राजनीति से जोड़ने की आवश्यकता नहीं है। परिवार हमेशा एक साथ रहना चाहता है, इसमें कोई बड़ी बात नहीं है। हम इसे आदरपूर्वक लेते हैं, लेकिन यह राजनीति से ज्यादा व्यक्तिगत संबंधों से जुड़ा हुआ है।
संजय शिरसाट ने वीर सावरकर के नाम पर दिल्ली में कॉलेज के उद्घाटन पर कहा कि यह एक अच्छा कदम है। जब किसी विद्यापीठ का नाम वीर सावरकर जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी के नाम पर रखा जाता है, तो यह एक बहुत बड़ा सम्मान है। विपक्ष द्वारा भाजपा पर वीर सावरकर के नाम पर राजनीति करने के आरोपों पर उन्होंने कहा कि विपक्ष राजनीति कर तो रहा है, लेकिन हम वीर सावरकर का सम्मान करते हैं। जो लोग उन्हें गालियां देते हैं और उनके खिलाफ बोलते हैं, हम उनका सम्मान करते हैं, क्योंकि वह देशभक्त थे। हम उनके साथ खड़े हैं और उनकी प्रशंसा करते हैं।"
--आईएएनएस
पीएसके/सीबीटी