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Nagaur हांफती बसों के पता नहीं कब थम जाए चक्के, यात्री परेशान

 
Nagaur हांफती बसों के पता नहीं कब थम जाए चक्के, यात्री परेशान 
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर प्रदेश में सरकार तो कई बार बदली, लेकिन रोडवेज बसों की हालत में कोई सुधार नहीं हुआ। बदली। राजस्थान पथ परिवहन निगम के नागौर आगार में आज 80 फीसदी से ज्यादा बसें कंडम होने के बाद भी यात्रियों को गंतव्यों तक पहुंचाने में जुटी हैं। इन कंडम बसों के कारण यात्रियों की मुश्किल के साथ ही रोडवेज की प्रतिष्ठा भी खराब हो रही है। खराब बसों के कारण आगार का राजस्व भी प्रभावित हुआ है। पिछले साल आगार को तीन नई बसें मिली, जबकि आवश्यकता करीब 12 बसों की है। कई बार कंडम बसें बीच राह में रुक जाती है। नागौर आगार के पास अपनी 54 बसें हैं। अनुबंध पर 26 बसें ली हुई है।

प्रबंधन की विवशता

जानकारों के अनुसार नागौर बस स्टैंड से संचालित रोडवेज की अस्सी प्रतिशत से ज्यादा बसें कंडम श्रेणी में पहुंच चुकी हैं। इन बसों को निगम के प्रावधान के अनुसार बंद करने की स्थिति में यात्रियों के लिए बसों का टोटा पड जाएगा, साथ ही रोजाना मिलने वाले राजस्व में भी कमी आएगी। इस कारण इस बसों का संचालन कराना आगार प्रबंधन की विवशता बन चुकी है।

जानकारों के अनुसार नागौर आगार की बसों में 25 बसें दस लाख किलोमीटर से ज्यादा चल चुकी है। वर्ष 2017 मॉडल की 10 बसें नौ लाख किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तय कर चुकी हैं। वर्ष 2020 मॉडल की 18 बसें भी अब तक पांच लाख किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय कर चुकी हैं। जबकि नियम यह है कि दस लाख किलोमीटर का सफर तय कर चुकी बसों को किसी भी हालत में सड़क पर नहीं चलाया जा सकता है। इनको पूरी तरह से कंडम माना जाता है। इसी तरह से नौ लाख किलोमीटर का सफर कर चुकी बसें भी कंडम होने की कगार पर पहुंच गई हैं।

अनुबंधित भी हांफी

आगार में लगाई गई अनुबंधित बसों के हालत भी खराब है। यह बसें वर्ष 2017 मॉडल की हैं। पुराना मॉडल होने के साथ निर्धारित दूरी भी तय कर चुकी है। इसके बाद भी संचलन जारी है। नई बसों का विकल्प नहीं होने से इन बसों का संचालन निगम की मजबूरी है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि प्रावधानों के अनुसार काम किया तो आगार बमुश्किल दो - तीन बसों का ही संचालन कर पाएगा।