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Nagaur अभियान के नहीं निकले ठोस परिणाम, शिकायत करने छात्राएं नहीं आती आगे

 
Nagaur अभियान के नहीं निकले ठोस परिणाम, शिकायत करने छात्राएं नहीं आती आगे
नागौर न्यूज़ डेस्क, नागौर छेड़छाड़ हो या छींटाकशी अब स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली छात्राओं का नसीब बन गया है। टीचर-पेरेंट्स से वे शिकायत करने में बचती हैं, साथ ही उन्हें यह डर भी रहता है कि कहीं उनकी बदनामी ना हो जाए। यह हाल केवल छात्राओं का ही नहीं है, गृहिणी से लेकर कामकाजी महिलाओं में भी कुछ को यह सहन करना पड़ रहा है। आत्मरक्षा प्रशिक्षण शिविर ही नहीं बात गरिमा हैल्प लाइन की करें या आवाज दो अभियान की, परिणाम उम्मीद पर खरे नहीं उतर रहे।

सूत्रों के अनुसार थानों में दर्ज ब्लैकमेलिंग, देहशोषण/बलात्कार के मामलों से यह साफ होता है कि शिकार पीड़िता विरोध करने का आत्मविश्वास नहीं जगा पाईं। और तो और प्रताडऩा/शोषण को लम्बे समय तक झेलकर जब कोई रास्ता नहीं बचा तो थाने तक पहुंच रही हैं। थानों में दर्ज इन मामलों की रिपोर्ट ही लगभग एक सी नजर आती है, आरोपी युवक छेड़छाड़ से शुरू कर अश्लील वीडियो बना या फिर शादी का झांसा देकर बलात्कार करता रहता है। जब पीड़िता को पता चलता है कि उसके साथ धोखा हुआ है तब वो जाकर थाने में रपट दर्ज कराती है।

यही हाल परिजनों का है, उनके घर की बेटी/बहू अथवा अन्य महिला ऐसे शातिरों का शिकार हो जाती हैं। शुरुआत में पीड़िताएं इसे हलके में लेती हैं, घर वालों की देखरेख के अभाव में जब हालात बदतर हो जाते हैं तो सिवाय थाने के कोई और रास्ता नजर नहीं आता। पीड़िता के परिजन पुलिस अफसर/वकील ही नहीं अन्य सामाजिक संगठन से जुड़े लोग भी मानते हैं कि विरोध करने का जज्बा हर किसी लड़की या महिला में नहीं होता, ऐसे में वे ऐसे बदमाशों का शिकार हो जाती हैं।